टोक्यो, 7 सितंबर 2025
जापान की राजनीति में रविवार को बड़ा भूचाल आया। महज़ दस महीने पहले सत्ता संभालने वाले प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला न केवल उनकी पार्टी के लिए, बल्कि पूरे एशिया और वैश्विक राजनीति के लिए गहरे असर डालने वाला माना जा रहा है।
सत्ता के गलियारों में हलचल
इशिबा का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब उनकी पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) को हाल ही में हुए चुनावों में ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा। यह हार जापान की राजनीतिक यात्रा की सबसे बड़ी पराजयों में गिनी जा रही है। चुनाव नतीजों के बाद पार्टी में खींचतान तेज हो गई थी और नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे थे।
इस्तीफे की वजह
प्रधानमंत्री इशिबा ने अपने इस्तीफे को पार्टी की एकजुटता बनाए रखने की कोशिश बताया। उन्होंने कहा—“यह मेरी व्यक्तिगत हार नहीं है, बल्कि पार्टी को टूटने से बचाने के लिए लिया गया कठिन निर्णय है।” हालांकि सियासी विश्लेषक मानते हैं कि उनकी गिरती लोकप्रियता, अधूरे आर्थिक सुधार, बेरोजगारी पर नियंत्रण में असफलता और विदेश नीति की कमजोरियां उनके इस्तीफे की असली वजह बनीं।
जनता में बढ़ती नाराज़गी
महंगाई, आर्थिक मंदी और रोजगार संकट ने जनता को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। युवाओं को रोजगार देने का वादा पूरा न होना और सामाजिक सुधारों की धीमी रफ्तार ने इशिबा सरकार पर भारी दबाव डाला। विदेश नीति के मोर्चे पर भी वे चीन और अमेरिका के बीच संतुलन साधने में असफल रहे। धीरे-धीरे उनके खिलाफ जनआक्रोश बढ़ता गया, जो आखिरकार चुनावी हार में बदल गया।
पार्टी के भीतर असंतोष
LDP के वरिष्ठ नेताओं का मानना था कि इशिबा देश को स्थिर नेतृत्व देने में नाकाम रहे हैं। उनकी नीतियों और फैसलों से पार्टी में गुटबाजी और असंतोष बढ़ता गया। यही दबाव उनके इस्तीफे की एक बड़ी वजह बना।
अंतरराष्ट्रीय असर
जापान एशिया का अहम देश है और उसका राजनीतिक स्थिर होना क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर मायने रखता है। इशिबा के इस्तीफे से अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ ने तुरंत स्थिति पर नजर रखनी शुरू कर दी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जापान में नया नेतृत्व एशियाई सुरक्षा और वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा तय करेगा।
अब आगे क्या?
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जापान की सत्ता की कमान अब किसके हाथ में जाएगी। LDP नए प्रधानमंत्री की तलाश में जुट गई है, जबकि विपक्ष भी इसे अपने लिए मौके के तौर पर देख रहा है। जनता ऐसे नेता की प्रतीक्षा कर रही है जो आर्थिक सुधारों को तेज़ी से लागू कर सके, बेरोजगारी और महंगाई पर काबू पा सके और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जापान की साख मजबूत करे।
कठिन दौर की शुरुआत
शिगेरू इशिबा का इस्तीफा जापानी राजनीति के लिए कठिन दौर की शुरुआत है। उनके अचानक कदम ने साफ कर दिया है कि जनता का भरोसा फिर से जीतना किसी भी नए नेता के लिए आसान नहीं होगा। आने वाले हफ्तों में जापान की दिशा और दशा दोनों तय होंगी।