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घमंड में अंधे सम्राट का ज़हरीला बयान: बिहार के डिप्टी सीएम ने हलवाई समाज को दी गाली, अजय कुमार लल्लू

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पटना, 22 अक्टूबर 2025

बिहार की राजनीति में एक बार फिर अहंकार और विभाजनकारी भाषा का ज़हर घुल गया है। राज्य के उप-मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी पर गंभीर आरोप है कि उन्होंने सत्ता के मदहोशी और राजनीतिक अहंकार में डूबकर बिहार के मेहनतकश हलवाई समाज (कानू समुदाय) का घोर अपमान किया है। यह वही समुदाय है जो अपनी मेहनत, ईमानदारी और मिठास से न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश का मुँह मीठा करता है, लेकिन चौधरी ने उन्हें कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला करने के लिए एक “गाली का प्रतीक” बना दिया। यह विवाद उस वक्त भड़क उठा जब चौधरी ने राहुल गांधी के खिलाफ बयान देते हुए उन्हें ‘हलवाई’ कहकर नीचा दिखाने की कोशिश की। 

राहुल गांधी ने हाल ही में बिहार के हलवाई समाज के लोगों से मुलाकात कर सादगी और सम्मानजनक संवाद स्थापित किया था, लेकिन चौधरी के अहंकार ने उन्हें इतना अंधा बना दिया कि उन्होंने इस मेहनतकश समाज के नाम को ही अपमान का प्रतीक बना डाला। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सम्राट चौधरी अब उस अवस्था में पहुँच चुके हैं जहाँ सत्ता की गर्मी और नैतिकता की कमी ने उनके भीतर की संवेदनशीलता को पूरी तरह से निगल लिया है। जो नेता खुद को “पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधि” बताते हैं, वही आज पिछड़ों और मेहनतकशों का मज़ाक बना रहे हैं— यह बिहार की राजनीति की एक अत्यंत कड़वी और शर्मनाक सच्चाई है।

करोड़ों की संपत्ति, आपराधिक विरासत और बीजेपी का मौन समर्थन

सम्राट चौधरी का नाम अब सिर्फ ज़हरीले बयानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह करोड़ों की संपत्ति और गंभीर आपराधिक मामलों से भी जुड़ा हुआ है, जिससे उनकी राजनीतिक विरासत पर गहरे सवाल उठते हैं। चुनाव आयोग को सौंपे गए दस्तावेज़ बताते हैं कि उनके पास ₹10 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। कभी अपने पिता की राजनीतिक विरासत पर खड़े हुए चौधरी, अब बीजेपी के संरक्षण में “सत्ता के सौदागर” बन चुके हैं। चौधरी के खिलाफ पहले से जमीन घोटाला, आचार संहिता उल्लंघन, दंगा भड़काने और दलितों के खिलाफ अपमानजनक बयान जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। 

बावजूद इसके, बीजेपी उन्हें संरक्षण देने में कोई कसर नहीं छोड़ती, जिससे जनता के मन में यह सवाल पैदा होता है कि “बीजेपी का नारा है सबका साथ, सबका विकास, लेकिन असल में चल रहा है सबका अपमान, सत्ता का विलास!” यह आपराधिक छाया और राजनीतिक सुरक्षा का मिश्रण दिखाता है कि कैसे एक नेता सत्ता के नशे में इतना मदहोश हो सकता है कि वह मेहनतकश समुदायों का सार्वजनिक रूप से अपमान करे। यह घटना बीजेपी की दोहरी नैतिकता को उजागर करती है, जो एक ओर “सबका साथ” का नारा देती है, वहीं दूसरी ओर अपने डिप्टी सीएम को “सबका अपमान” करने की खुली छूट देती है।

कानू समाज का गौरव और कांग्रेस का पलटवार: “बीजेपी ने बनाया अपमान का उपमुख्यमंत्री”

बिहार में लगभग 30 लाख से अधिक कानू (हलवाई) समाज के लोग रहते हैं, जो अपनी मेहनत से देश की मिठास और आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं। यह वही मेहनतकश समुदाय है जो जीएसटी की मार, महंगाई और सरकारी उपेक्षा के बावजूद देश के हर त्यौहार को मीठा बनाता है, और अब यही समुदाय चौधरी के बयान से अपमान और आक्रोश से उबल पड़ा है। स्थानीय संगठनों ने घोषणा की है कि यदि सम्राट चौधरी सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, तो बिहारभर में उनके खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। 

कानू समाज के नेताओं का स्पष्ट कहना है कि “हम हलवाई हैं, गाली नहीं। जो हमारी मेहनत का मज़ाक उड़ाएगा, उसका राजनीतिक अहंकार हम चूर-चूर कर देंगे।” इस अपमानजनक टिप्पणी पर कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने सख्त पलटवार करते हुए कहा कि यह बयान न सिर्फ हलवाई समाज का, बल्कि पूरे मेहनतकश भारत का अपमान है। उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “बीजेपी ने सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री इसलिए बनाया है ताकि वह गरीबों, पिछड़ों और वंचितों के खिलाफ ज़हर उगल सकें। राहुल गांधी का अपमान दरअसल 30 लाख मेहनतकश बिहारियों का अपमान है। कांग्रेस इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।” अजय लल्लू ने चौधरी के बयान को “नफ़रत की सियासत” का सबूत बताया और चेतावनी दी कि यदि मोदी और शाह ने उन्हें नहीं रोका, तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर जनता के साथ इस अपमान का जवाब देगी।

मोदी–शाह की चुप्पी: राजनीतिक जहर का मौन समर्थन और आगामी चुनाव में जवाब

इस बड़े राजनीतिक विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तरफ़ से अब तक कोई आधिकारिक या अनौपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, और यह चुप्पी राजनीतिक गलियारों में एक गहरा संदेश दे रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह चुप्पी केवल मौन समर्थन नहीं है, बल्कि यह एक “रणनीतिक सहमति” है—ताकि चौधरी का विभाजनकारी ज़हर राजनीतिक बहस में फैलता रहे और विपक्ष का ध्यान महंगाई, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार जैसे असल मुद्दों से भटकता रहे। 

यह मौन अब मौन समर्थन बन गया है, और जनता इसे अच्छी तरह से समझ चुकी है। यह अपमानजनक बयान न सिर्फ बीजेपी की सामाजिक न्याय की साख पर दाग लगाता है, बल्कि यह आने वाले चुनावों में पार्टी के लिए “राजनीतिक जहर” साबित होगा। बिहार की जनता जानती है कि हलवाई मीठा बनाता है, पर जवाब कड़वा देता है। यह घमंड में अंधे सम्राट को यह सबक सिखाने का समय है कि बिहार मेहनत से चलता है, सत्ता से नहीं—और अब बिहार ही उन्हें उनकी राजनीतिक औकात दिखाएगा।

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