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पवन खेड़ा : लाखों नाम गायब, तीन-तीन वोटर ID वाले लोग मौजूद, फिर कैसे कह रहे हैं सब ठीक?

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नई दिल्ली / पटना 11 अक्टूबर 

बिहार की मतदाता सूची को लेकर अब कांग्रेस ने बड़ा आरोप लगाया है। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शुक्रवार को कहा कि बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) का यह दावा भ्रामक है कि “सूचियों में नाम जोड़ने या हटाने को लेकर कोई अपील प्राप्त नहीं हुई।” खेड़ा ने कहा — “जब जिन्हें सूची से हटाया गया उन्हें सूचित ही नहीं किया गया, तो वे अपील कैसे करेंगे?”

पवन खेड़ा ने कहा कि मुख्य चुनाव अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि किसी भी मतदाता ने हटाए गए या जोड़े गए नामों को लेकर कोई आपत्ति दर्ज नहीं की, लेकिन यह तर्क पूरी तरह कमजोर है। उनके अनुसार, “जब हटाए गए लाखों लोगों को कोई सूचना नहीं दी गई, तो वे अपील कैसे दायर करेंगे?”

उन्होंने बताया कि 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने की सूची तो चुनाव आयोग ने केवल सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही सार्वजनिक की थी। इसके अलावा, नवीनतम डिलीशन सूची अब तक प्रकाशित ही नहीं की गई है। “जब पारदर्शिता ही नहीं है, तो आपत्ति दर्ज करने का सवाल ही नहीं उठता,” खेड़ा ने कहा।

कानूनी सहायता सिर्फ दिखावा

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि अपील दायर करने के लिए कानूनी सहायता का प्रावधान भी केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, वह भी सिर्फ कल से शुरू किया गया है। ऐसे में यह कहना कि कोई शिकायत नहीं आई, सरासर गलत है। खेड़ा के अनुसार, यह पूरा तंत्र आम मतदाता को भ्रमित करने और गड़बड़ियों को छिपाने का तरीका है।

लाखों डुप्लिकेट और फर्जी नाम सूची में मौजूद

पवन खेड़ा ने बिहार के चुनावी रोल्स की सच्चाई पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि “CEO को बिना तर्क के बचाव करने की बजाय जमीनी सच्चाई देखनी चाहिए।” उन्होंने आरोप लगाया —

मतदाता सूची में लाखों डुप्लिकेट नाम, फर्जी पते और मौजूद ही नहीं रहने वाले घरों के पते शामिल हैं।

कई जगह एक ही पते पर सैकड़ों मतदाता दर्ज हैं — अलग-अलग समुदायों और परिवारों के नाम एक ही मकान पर दिखाए जा रहे हैं।

हजारों लोगों के पास एक से अधिक वोटर ID हैं, कुछ के पास तो तीन तक पहचान पत्र मौजूद हैं।

खेड़ा ने कहा कि जब ये विसंगतियाँ इतनी साफ हैं, तो मुख्य चुनाव अधिकारी यह कैसे कह सकते हैं कि सूचियाँ “संपूर्ण और सटीक” हैं?

कांग्रेस की मांग: पारदर्शिता और जांच

कांग्रेस ने मांग की है कि चुनाव आयोग तुरंत बिहार की मतदाता सूची में किए गए परिवर्तनों की सार्वजनिक जांच कराए और हर जिले की सूची में हटाए गए नामों को पारदर्शी तरीके से प्रकाशित करे। पार्टी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए मतदाताओं को हटाने से पहले पूर्व सूचना देना अनिवार्य किया जाए।

पवन खेड़ा ने कहा — “जब एक ओर मतदाताओं के नाम चुपचाप काटे जा रहे हैं और दूसरी ओर फर्जी नाम जोड़े जा रहे हैं, तो यह लोकतंत्र की आत्मा पर चोट है।”

कांग्रेस का यह बयान ऐसे समय आया है जब बिहार में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मामले में चुनाव आयोग को पारदर्शिता बढ़ाने के निर्देश दिए थे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्य चुनाव अधिकारी इस चुनौतीपूर्ण आरोप पर क्या जवाब देते हैं — क्योंकि सवाल सिर्फ नामों का नहीं, बल्कि लोकतंत्र में भरोसे का है।

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