नई दिल्ली
25 जुलाई 2025
लगातार एक सप्ताह तक चले गतिरोध के बाद संसद की कार्यवाही अब सोमवार से सुचारु रूप से चलने की उम्मीद है। शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की पहल पर हुई सर्वदलीय बैठक में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच कुछ हद तक सहमति बनी। सरकार और विपक्ष दोनों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के लिए हामी भर दी, लेकिन ‘SIR’ (Special Investigation Request) जैसे संवेदनशील विषय को फिलहाल चर्चा से बाहर रखा गया है, जिस पर विपक्ष के एक वर्ग में असंतोष बना हुआ है।
कैसे टूटा गतिरोध?
सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू समेत सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल हुए।
सभी दलों ने यह स्वीकार किया कि संसद में शोर-शराबे और स्थगन से जनता का नुकसान होता है और महत्वपूर्ण विधायी कार्य अटक जाता है।
हालांकि, यह भी स्पष्ट हुआ कि विपक्ष पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। बैठक के बाद कुछ विपक्षी नेताओं ने कहा कि सरकार को सभी विषयों पर चर्चा से भागना नहीं चाहिए, खासकर SIR जैसे मामलों पर, जिन्हें जनता जानना चाहती है।
केंद्र का पक्ष:
सरकार की ओर से साफ किया गया कि वह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर पूरी गंभीरता से चर्चा के लिए तैयार है। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा:, “हमें बेबुनियाद आरोपों और भावनात्मक उकसावे से बचना चाहिए। संसद को ठोस विषयों पर केंद्रित रहना चाहिए।”
विपक्ष की दोहरी रणनीति:
जहां एक ओर विपक्षी दलों ने शांति से चर्चा के लिए सहमति दी, वहीं कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि SIR जैसे मुद्दों पर चर्चा से इनकार लोकतांत्रिक भावना के विपरीत है। RJD, कांग्रेस और TMC के सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि वे इस मुद्दे को फिर से उठाएंगे, हालांकि फिलहाल माहौल शांतिपूर्ण बनाए रखने की सहमति बनी है।
सोमवार से क्या होगा?
- ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार की रिपोर्ट पेश की जाएगी
- विपक्ष सवाल पूछेगा, सरकार जवाब देगी
- शिक्षा, कृषि और बजट जैसे विधेयकों पर बहस होगी
- मानसून सत्र को प्रभावी बनाने का प्रयास होगा
विशेष टिप्पणी:
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने संवाद और संयम का परिचय देते हुए दोनों पक्षों को आम सहमति की ओर ले जाने में अहम भूमिका निभाई। यह उदाहरण बताता है कि लोकतंत्र केवल बहुमत की बात नहीं, बल्कि बहस और सुनवाई की संस्कृति भी है।
संसद का सुचारु रूप से चलना लोकतंत्र की सेहत के लिए जरूरी है, लेकिन यदि कुछ मुद्दों को लगातार टाला जाता है या उन्हें बहस से बाहर रखा जाता है, तो वह लोकतांत्रिक विश्वास को कमजोर भी कर सकता है।
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा एक अच्छी शुरुआत है, पर SIR पर चुप्पी से यह सवाल भी उठेगा कि क्या संसद में सच को लेकर चयनात्मकता अपनाई जा रही है? आने वाला सप्ताह इसी संतुलन की परीक्षा होगी — व्यवस्था का भी, और विपक्ष का भी।