लंदन 22 सितंबर 2025
न्याय की गूंज
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) से पहले दुनिया की तीन बड़ी लोकतांत्रिक ताकतों — ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा — ने औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी है। यह फैसला उन लाखों फिलिस्तीनियों की जीत है जो दशकों से कब्ज़े, युद्ध और अन्याय का सामना कर रहे थे। यह केवल एक कूटनीतिक ऐलान नहीं, बल्कि इंसाफ़ और मानवता की गूंज है, जिसने इज़राइल और अमेरिका को गहरी असहजता में डाल दिया है।
दो-राज्य समाधान को मिली नई ताकत
तीनों देशों ने साफ कहा है कि यह कदम दो-राज्य समाधान को बचाने और शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अनिवार्य है। यह संदेश सीधा और स्पष्ट है — अब दुनिया फिलिस्तीन के अधिकारों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने तो यहां तक कहा कि “यह कदम उम्मीद की लौ को जिंदा रखने के लिए है।”
फिलिस्तीनियों के संघर्ष को मिला सम्मान
फिलिस्तीन के विदेश मंत्री ने इस घोषणा को “स्वायत्तता और संप्रभुता की ओर ऐतिहासिक कदम” करार दिया। दशकों से जारी संघर्ष, खून-पसीने और कुर्बानियों को आखिरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली। गाज़ा की तबाह गलियों और वेस्ट बैंक के जख्मी लोगों के लिए यह फैसला आशा की किरण है।
इज़राइल और अमेरिका की बौखलाहट
जैसे ही यह घोषणा हुई, इज़राइल ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे “हिंसा को बढ़ावा देने वाला कदम” बताया। अमेरिका ने भी असहमति जताई। लेकिन सच्चाई यह है कि यह दोनों ताकतों की नैतिक हार है। वर्षों से कब्ज़ा, बमबारी और दमन करने वाले अब इस तथ्य से भाग नहीं सकते कि फिलिस्तीन की मांग सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि मानवता का सवाल है।
वैश्विक राजनीति में नया मोड़
इस कदम के बाद यूरोप और अन्य देशों पर भी दबाव बढ़ेगा कि वे फिलिस्तीन को मान्यता दें। यह फैसला केवल फिलिस्तीन के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए संदेश है कि अन्याय और कब्ज़ा अब हमेशा के लिए नहीं चल सकता। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दिखा दिया है कि शांति और बराबरी की राह पर फिलिस्तीन अकेला नहीं है।
ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की यह ऐतिहासिक घोषणा फिलिस्तीन की कूटनीतिक जीत और इज़राइल-अमेरिका की हार है। यह दुनिया को याद दिलाती है कि फिलिस्तीन का झंडा अब सिर्फ गाज़ा या वेस्ट बैंक की गलियों तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी लहराने लगा है। यह इंसाफ़ की जीत है, और आने वाले कल में और भी देश इस संघर्ष के साथ खड़े होंगे।