इस्लामाबाद 17 सितम्बर 2025
इजरायल-कतर विवाद पर पाकिस्तान की बड़ी सियासी चाल
इजरायल द्वारा कतर पर किए गए हमले ने पूरे इस्लामिक जगत को झकझोर दिया है। इस बीच पाकिस्तान के रक्षामंत्री ने एक बड़ा बयान देते हुए मुस्लिम देशों से अपील की है कि वे नाटो (NATO) की तर्ज पर एक साझा सैन्य गठबंधन बनाएं। पाकिस्तान का मानना है कि जब पश्चिमी देशों के पास एकजुट सुरक्षा ढांचा हो सकता है, तो इस्लामिक देशों को भी अपनी सुरक्षा, हित और अस्तित्व की रक्षा के लिए यही कदम उठाना चाहिए।
इस्लामिक NATO बनाने की मांग
पाकिस्तान के रक्षामंत्री ने कहा कि जब भी मुस्लिम देशों पर बाहरी ताकतें हमला करती हैं, तो हर देश अकेले ही संघर्ष करता है। कतर पर हुआ इजरायली हमला इसका ताज़ा उदाहरण है। अगर इस्लामिक देशों का एक मजबूत सैन्य गठबंधन होता तो इजरायल जैसी ताकतें ऐसा कदम उठाने से पहले कई बार सोचतीं। पाकिस्तान का रुख साफ है—इस्लामिक दुनिया को सिर्फ बयानों से आगे बढ़कर एक एकीकृत रक्षा ढांचा तैयार करना होगा।
भारत के लिए बढ़ सकती है टेंशन
पाकिस्तानी रक्षामंत्री का यह बयान भारत के लिए भी चिंता बढ़ा सकता है। भारत लंबे समय से इस्लामिक देशों के साथ राजनयिक और सामरिक स्तर पर संतुलन साधने की कोशिश करता रहा है। अगर मुस्लिम देशों का एकजुट सैन्य गठबंधन खड़ा हुआ तो भारत को खाड़ी और मध्य-पूर्वी क्षेत्र में अपने रणनीतिक व आर्थिक हितों की रक्षा के लिए अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। खासकर जब पाकिस्तान इस मोर्चे को भारत विरोधी नैरेटिव से भी जोड़ सकता है।
खाड़ी संकट और वैश्विक असर
इजरायल-कतर विवाद सिर्फ इस्लामिक देशों की समस्या नहीं है, बल्कि इसका असर वैश्विक राजनीति पर भी गहराई से पड़ सकता है। कतर पश्चिमी देशों और खासकर अमेरिका के लिए ऊर्जा आपूर्ति का रणनीतिक केंद्र है। ऐसे में इजरायल के साथ उसकी तनातनी ने अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को भी सवालों में डाल दिया है। अगर मुस्लिम देश एकजुट होकर प्रतिरोध की नीति अपनाते हैं, तो दुनिया को एक नई भू-राजनीतिक ध्रुवीकरण का सामना करना पड़ सकता है।
नाटो की तर्ज पर इस्लामिक यूनियन का खतरा व असर
नाटो के पास अमेरिका और यूरोप जैसी ताकतें हैं, जिनके संसाधन, तकनीक और सैन्य शक्ति अद्वितीय हैं। अगर इस्लामिक देशों ने भी इसी तरह का संगठन बनाया, तो यह न सिर्फ पश्चिमी देशों बल्कि भारत जैसे पड़ोसियों के लिए भी बड़े खतरे का संकेत होगा। इससे शक्तियों का संतुलन बदल सकता है और वैश्विक स्तर पर एक इस्लाम बनाम पश्चिम की नई धुरी खड़ी हो सकती है।
पाकिस्तान की यह मांग प्रतीकात्मक बयानबाज़ी नहीं लगती, बल्कि आने वाले समय में यह मुस्लिम देशों की राजनीति में एक नया विमर्श खोल सकती है। कतर पर हुए इजरायली हमले ने इस्लामिक जगत को एकजुट करने की संभावना को और मजबूत कर दिया है। भारत सहित दुनिया की बड़ी ताकतों को इस संभावना को नज़रअंदाज़ करना महंगा पड़ सकता है।
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