वॉशिंगटन, अमेरिका
18 जुलाई 2025
TRF को मिली आतंकवादी मुहर
अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के प्रॉक्सी ग्रुप “द रेसिस्टेंस फ्रंट” (TRF) को आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले की जिम्मेदारी इसी संगठन ने ली थी। उस हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान गई थी और पूरा देश स्तब्ध रह गया था। अमेरिका के विदेश विभाग ने इस संगठन को “फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइज़ेशन” (FTO) और “स्पेशली डिज़ाइनेटेड ग्लोबल टेररिस्ट” (SDGT) की सूची में शामिल किया है। यह कदम न सिर्फ इस संगठन की गतिविधियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंकुश लगाएगा बल्कि लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान को भी एक कड़ा संदेश देता है कि अमेरिका अब छद्म आतंकवादियों को भी बख्शने के मूड में नहीं है।
TRF: नया नाम, पुराना चेहरा
TRF की पहचान भले ही एक कश्मीरी प्रतिरोध संगठन के रूप में सामने आई हो, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह पूरी तरह से लश्कर-ए-तैयबा की एक रणनीतिक चाल है। 2019 के बाद जब वैश्विक दबाव के चलते पाकिस्तान पर आतंकी समूहों की गतिविधियों को रोकने का दबाव बढ़ा, तब लश्कर ने TRF को एक लोकल ‘फ्रंट’ के तौर पर खड़ा किया ताकि अंतरराष्ट्रीय निगरानी से बचा जा सके। लेकिन TRF के हमलों की रणनीति, हथियारों का प्रयोग, और पाकिस्तान से मिल रही मदद ने इसकी असली पहचान को उजागर कर दिया। TRF ने घाटी में कई टारगेट किलिंग की घटनाओं को अंजाम दिया है, विशेषकर गैर-कश्मीरी मजदूरों, अल्पसंख्यक समुदायों और सुरक्षाबलों पर। यह समूह भारत की आंतरिक शांति को नुकसान पहुंचाने की लंबे समय से कोशिश करता रहा है।
भारत-अमेरिका रणनीतिक तालमेल का मजबूत संकेत
अमेरिका का यह निर्णय भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक साझेदारी की गंभीरता को दर्शाता है। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम भारत-अमेरिका की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की पुष्टि करता है। अमेरिका का यह रुख बताता है कि वह अब केवल उन संगठनों को आतंकवादी नहीं मानता जो सीधे तौर पर अमेरिका के खिलाफ खतरा बनते हैं, बल्कि वह उन आतंकी नेटवर्क को भी नष्ट करना चाहता है जो क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाते हैं और लोकतंत्र को चुनौती देते हैं। इस कार्रवाई से यह भी स्पष्ट हो गया है कि भारत की ओर से प्रस्तुत खुफिया जानकारी और ट्रैकिंग प्रयासों को अमेरिका गंभीरता से ले रहा है और वैश्विक स्तर पर समर्थन दे रहा है।
पाकिस्तान पर दबाव और आतंक के वित्त पोषण पर प्रहार
TRF को वैश्विक आतंकी घोषित करने का सीधा असर पाकिस्तान पर पड़ेगा, जो वर्षों से आतंकवादी संगठनों को आश्रय, प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता देता रहा है। यह निर्णय अब TRF की अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग व्यवस्था, फंड ट्रांसफर, हथियार खरीद और यात्रा सुविधाओं पर प्रभाव डालेगा। TRF से जुड़ी संस्थाओं, व्यक्तियों और नेटवर्क की अब अमेरिका और उसके सहयोगी देशों में निगरानी और जब्ती की जाएगी। पाकिस्तान एक ओर जहां FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) से बाहर निकलने की कोशिश में लगा है, वहीं TRF जैसे संगठन के खिलाफ इस कार्रवाई से उसकी छवि को बड़ा झटका लग सकता है। यह फैसला वैश्विक मंच पर यह सिद्ध करता है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ अब कूटनीतिक चुप्पी नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की जाएगी।
आतंक के खिलाफ एकजुटता की मिसाल
अमेरिका द्वारा TRF को आतंकी संगठन घोषित करना आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता का प्रतीक है। यह निर्णय उन निर्दोष लोगों के लिए न्याय की उम्मीद है जो पहलगाम हमले में मारे गए और उन हजारों नागरिकों के लिए राहत की सांस है जो लंबे समय से आतंक के साए में जी रहे हैं। यह कदम भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को अंतरराष्ट्रीय समर्थन देने का भी संकेत है। अब यह ज़रूरी है कि अन्य देश भी TRF और इसके जैसे संगठनों के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं और पाकिस्तान जैसे देशों को यह एहसास दिलाएं कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। अमेरिका का यह कदम आने वाले समय में वैश्विक सुरक्षा नीति के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।