नई दिल्ली 26 सितंबर 2025
127 लाख करोड़ की लूट के बाद सरकार ने थमाया झुनझुना, जनता से कहा ‘उत्सव मनाइए’
राहुल गांधी ने आठ साल पहले कहा था कि GST छोटे कारोबारियों पर “गब्बर सिंह टैक्स” है। आज यह साफ दिख रहा है कि “गब्बर” वही है जो टैक्स भी बढ़ाता है, टैक्स भी घटाता है, और हर बार खुद को मास्टरस्ट्रोक बताकर जनता को मूर्ख बनाने का खेल खेलता है।
GST दरों में कटौती लागू होने के पहले ही दिन देशभर में रिकॉर्ड तोड़ खरीदारी हुई। क्रेडिट कार्ड से खर्च 10,000 करोड़ के आंकड़े तक पहुंच गया। सरकार और उसके समर्थक इसे “अर्थव्यवस्था में भरोसा” और “मजबूत उपभोक्ता भावना” बता रहे हैं। लेकिन असली कहानी इससे कहीं गहरी है।
यह वही GST है जिसे मोदी सरकार ने 2017 में लागू करते हुए “सबसे बड़ा आर्थिक सुधार” बताया था और अपनी पीठ थपथपाई थी। उसी वक्त राहुल गांधी ने चेताया था कि यह छोटे कारोबारियों और आम जनता पर बोझ डालने वाला टैक्स है। आठ साल में 127 लाख करोड़ रुपये का GST वसूला गया और महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी। अब सरकार चुनावी मौसम में दरें घटाकर वही खेल दोहरा रही है — इस बार भी अपनी पीठ खुद थपथपा रही है।
सरकार की रणनीति साफ है: पहले टैक्स बढ़ाओ, जनता की जेब से ज्यादा से ज्यादा पैसा निकालो, फिर थोड़ा घटाकर इसे बड़ी राहत और मास्टरस्ट्रोक बताओ। बढ़ाना भी जीत, घटाना भी जीत — हर बार जीत सिर्फ सत्ता की!
वास्तविकता यह है कि इस कटौती से भी छोटे दुकानदारों की परेशानी खत्म नहीं होगी। GST की जटिलता, कागजी कार्रवाई और बार-बार बदलते नियम आज भी छोटे व्यापारियों के लिए दुःस्वप्न हैं। उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में थोड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।
इस कदम को चुनावी “गिफ्ट” की तरह प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन यह वही झुनझुना है जो सरकार बार-बार हिलाती है ताकि जनता का ध्यान असली मुद्दों से हट जाए — बेरोजगारी, महंगाई, MSME सेक्टर का संकट और लगातार घटती क्रयशक्ति।
सरकार को चाहिए कि केवल विज्ञापनबाजी के बजाय GST ढांचे में व्यापक सुधार करे, छोटे कारोबारियों को राहत दे और उपभोक्ताओं को स्थायी समाधान दे। वरना यह कटौती भी महज़ एक चुनावी स्टंट बनकर रह जाएगी और जनता के साथ किया गया सबसे बड़ा “आंखों का धोखा” साबित होगी।