महाराष्ट्र के पालघर जिले में एक औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना के तहत 25,000 से अधिक पेड़ों की कटाई प्रस्तावित की गई है। इसके विरोध में स्थानीय वारली और कोकणी जनजातियों ने ‘एक पेड़, एक जीवन’ आंदोलन शुरू किया है। यह आंदोलन स्थानीय पर्यावरण की रक्षा और जनजातीय आजीविका को बचाने का प्रयास है।
इस आंदोलन में महिलाएं, बुजुर्ग, और स्कूली बच्चे तक शामिल हैं। उनका कहना है कि पेड़ केवल लकड़ी नहीं हैं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक, धार्मिक और औषधीय पहचान से जुड़े हैं। आंदोलनकारियों ने पेड़ों को राखी बांधकर और मंत्रों के साथ पूजा कर उन्हें ‘जीवित साथी’ घोषित किया है। सोशल मीडिया पर भी इस आंदोलन को बड़ा समर्थन मिल रहा है।
पर्यावरण कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों ने भी इस जन आंदोलन को समर्थन दिया है और राज्य सरकार से परियोजना पर पुनर्विचार की मांग की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन एक मिसाल बन सकता है, जहाँ जनभागीदारी के ज़रिये विकास परियोजनाओं को टिकाऊ और समावेशी बनाया जा सकता है।