रायपुर, छत्तीसगढ़ | 1 अगस्त 2025
छत्तीसगढ़ में दो कैथोलिक ननों की कथित मानव तस्करी और जबरन धर्मांतरण के मामले में गिरफ्तारी को लेकर उठे राजनीतिक तूफान के बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है कि “कानून अपना काम कर रहा है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार किसी के साथ भेदभाव नहीं कर रही, लेकिन कानून के अनुसार कार्यवाही अवश्य की जाएगी।
गिरफ्तार की गई ननों में प्रीति मेरी और वंदना फ्रांसिस, दोनों केरल की निवासी हैं, और उनके साथ सुकामन मंडावी नाम की महिला को भी 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया था। तीनों पर मानव तस्करी और धार्मिक जबरन परिवर्तन का आरोप है।
इस मामले ने संसद में भी जोरदार विरोध पैदा किया, जहां कांग्रेस पार्टी ने इसे “गंभीर और चौंकाने वाला मामला” करार देते हुए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। उधर, केरल में भी इस गिरफ्तारी को लेकर कैथोलिक समुदाय में भारी आक्रोश है। मंगलवार को कोच्चि में बड़ी संख्या में ननों और ईसाई संगठनों ने प्रदर्शन कर गिरफ्तारी को तुरंत रद्द करने की मांग की।
हालांकि मुख्यमंत्री साय का कहना है कि “किसी भी व्यक्ति को बिना जांच और प्रमाण के दोषी नहीं ठहराया जा रहा, लेकिन अगर कानून का उल्लंघन हुआ है तो किसी की पहचान देखे बिना कार्रवाई की जाएगी।”
मामले की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस और राज्य के धार्मिक मामलों से जुड़े विभागों की निगरानी में जारी है। सरकार का दावा है कि कुछ स्थानीय लड़कियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण के लिए बाहर ले जाया जा रहा था, जिसकी शिकायत के बाद यह कार्रवाई की गई।
इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के साथ-साथ मानवाधिकार संगठनों की भी प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। आने वाले दिनों में यह मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक और सांप्रदायिक विमर्श का विषय बनने की संभावना है।