Home » National » अब आपकी निजी बातचीत भी कोर्ट में बन सकती है सबूत, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

अब आपकी निजी बातचीत भी कोर्ट में बन सकती है सबूत, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

नई दिल्ली 

17 जुलाई

अगर आप सोचते थे कि पति-पत्नी के बीच की बातें हमेशा निजी रहेंगी, तो अब सावधान हो जाइए। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है जिसके मुताबिक, पति या पत्नी द्वारा छुपकर रिकॉर्ड की गई बातचीत, चैट या कॉल रिकॉर्डिंग अब तलाक जैसे मामलों में कोर्ट में सबूत के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती हैं। इस फैसले से ‘निजता का अधिकार’ बनाम ‘सत्य की खोज’ के बीच एक नई बहस भी शुरू हो गई है।

यह मामला उस याचिका से जुड़ा है जिसमें एक पति ने 2010 से 2016 के बीच अपनी पत्नी के साथ हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग को तलाक के केस में सबूत के तौर पर पेश करने की अनुमति मांगी थी। इसमें मेमोरी कार्ड, सीडी और ट्रांसक्रिप्ट शामिल थे। पत्नी ने इसका विरोध करते हुए निजता के हनन की दलील दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अगर कोई रिश्ता इतना बिगड़ चुका हो कि एक पक्ष को छुपकर बातचीत रिकॉर्ड करनी पड़े, तो वह रिकॉर्डिंग रिश्ते के टूटने का कारण नहीं बल्कि नतीजा होती है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी रिकॉर्डिंग को सबूत मानने के लिए कुछ शर्तें जरूरी हैं:

  1. बातचीत की प्रामाणिकता साबित होनी चाहिए — यानी वह किसकी है और कब की है।
  1. वह प्रासंगिक होनी चाहिए — कोर्ट में चल रहे मुद्दे से जुड़ी होनी चाहिए।
  1. उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए — यानी ऑडियो या टेक्स्ट से कुछ हटाया या बदला न गया हो।

महत्वपूर्ण बात यह है कि अब ऐसे सबूत पेश करने के लिए सामने वाले की अनुमति जरूरी नहीं मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच — जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा — ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया जिसमें ऐसी रिकॉर्डिंग को निजता का उल्लंघन माना गया था।

इस निर्णय के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। एक तरफ यह तलाक जैसे गंभीर मामलों में सच को सामने लाने का ज़रिया बन सकता है, वहीं दूसरी ओर यह रिश्तों में भरोसे की नींव को भी चुनौती दे सकता है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *