31 जनवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूर्वोत्तर भारत के विकास को लेकर प्रतिबद्धता एक नई ऊंचाई पर दिखाई दी, जब उन्होंने असम के जोरहाट में ₹9,800 करोड़ की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन और रेलवे नेटवर्क का समावेश था। मोदी ने न सिर्फ इन योजनाओं का लोकार्पण किया बल्कि अपने संबोधन में पूर्वोत्तर को “न्यू इंडिया का नया ग्रोथ इंजन” बताया। उन्होंने इस क्षेत्र को दशकों तक ‘विकास से वंचित‘ कहकर छोड़ देने वाली नीतियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अब पूर्वोत्तर भारत न तो “peripheral” रहा है और न ही “problematic” — यह अब संभावनाओं की भूमि बन गया है।
प्रधानमंत्री मोदी का पूर्वोत्तर प्रेम कोई एकदिवसीय भाषण तक सीमित नहीं रहा। बीते 10 वर्षों में उन्होंने 60 से अधिक बार इस क्षेत्र का दौरा किया — जो आज़ादी के बाद किसी भी प्रधानमंत्री द्वारा किए गए सबसे अधिक दौरे हैं। उन्होंने Act East Policy को केवल विदेश नीति तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे जमीनी स्तर पर “Act Fast for Northeast” के रूप में क्रियान्वित किया। उन्होंने कहा, “पूर्वोत्तर में इंफ्रास्ट्रक्चर, इन्वेस्टमेंट और इनोवेशन तीनों की क्रांति लाने की ज़रूरत है,” और उन्होंने इसी दिशा में बजट बढ़ाकर, केंद्र-राज्य समन्वय मजबूत कर, और नौजवानों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा से जोड़कर एक नया युग शुरू किया।
मोदी सरकार की नीति “HIRA” — Highways, Internet, Railways, and Airways — को पूर्वोत्तर के लिए आधारभूत ढांचा माना गया। मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा और अरुणाचल जैसे राज्यों में पहली बार रात में उड़ानें संभव हो सकीं; 2014 तक जहां पूर्वोत्तर के 70% जिले रेल नक्शे से बाहर थे, वहीं अब 90% जिलों को भारतीय रेलवे से जोड़ा जा चुका है। ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना’ और ‘PM GatiShakti Yojana’ के माध्यम से गांवों से लेकर शहरों तक सड़कें पहुंचाई गईं, और ब्रह्मपुत्र नदी को अंतर्देशीय जलमार्ग का केंद्र बनाकर ‘नीली क्रांति‘ की शुरुआत की गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने न केवल अवसंरचना पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण पर भी बल दिया। Hornbill Festival, Namami Brahmaputra, और International Bodo Festival जैसे आयोजनों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। पूर्वोत्तर की जनजातीय विविधता, लोकनृत्य, हस्तकला और भोजन को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के तहत राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ा गया। साथ ही, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में बगैर शर्त शांति वार्ता कर कई संगठनों को हथियार छोड़ने के लिए राजी किया गया। NSCN और Bodo समझौते इसके उदाहरण हैं।
31 जनवरी को नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर के युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, “आप सिर्फ सीमा के प्रहरी नहीं, बल्कि न्यू इंडिया के वास्तुकार हैं।” उन्होंने IIT-गुवाहाटी, IIM-शिलॉन्ग, AIIMS-डिब्रूगढ़, और नए कृषि अनुसंधान संस्थानों का उल्लेख करते हुए शिक्षा में निवेश को पूर्वोत्तर की सामाजिक बुनियाद की मजबूती से जोड़ा। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया और वोकल फॉर लोकल जैसे अभियानों से यहां के बांस उद्योग, हस्तशिल्प और जैविक कृषि को नई पहचान मिली।
नरेंद्र मोदी की पूर्वोत्तर नीति सिर्फ विकास का मॉडल नहीं, बल्कि सम्मान, संवाद और समावेशन का उदाहरण है। उन्होंने जिस तरह इस क्षेत्र को मुख्यधारा में लाने का कार्य किया, वह न सिर्फ आर्थिक और भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की विविधता और एकता की भावना को जीवंत रखने में भी निर्णायक भूमिका निभाता है। 31 जनवरी 2025 को घोषित योजनाएं इस दिशा में एक और ठोस कदम हैं — एक ऐसा कदम जो भारत के ‘सीमांत’ को अब ‘केंद्र’ में ला रहा है।