नई दिल्ली, 21 सितंबर 2025
दिल्ली में बीजेपी विधायक करनैल सिंह ने एक बार फिर विवादों में खुद को घेरा है। उन्होंने नवरात्रि के दौरान दिल्ली में मांसाहारी भोजन की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि “नवरात्रि में नॉनवेज की बिक्री से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं”। सिंह ने साफ कर दिया कि जो खाना चाहते हैं, वे खाएं; जो नहीं चाहते, उन्हें मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या एक विधायक को यह अधिकार है कि वह पूरे शहर के व्यापारियों और नागरिकों की व्यक्तिगत पसंद और आज़ादी पर छाया डाले? दिल्ली एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक शहर है, जहां हर नागरिक की अपनी आस्था और जीवनशैली होती है। किसी एक धर्म की भावना के नाम पर शहरभर में भोजन की बिक्री पर रोक लगाने का विचार न केवल असंवैधानिक है, बल्कि समाज में असहमति और तनाव भी बढ़ा सकता है।
करनैल सिंह का यह बयान साफ करता है कि वे धार्मिक सहिष्णुता और लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी कर रहे हैं। लोकतंत्र में हर नागरिक को अपनी पसंद और आस्था के अनुसार जीने का अधिकार है। किसी भी विधायक को यह अधिकार नहीं है कि वह अपनी व्यक्तिगत राय को कानून या आदेश का रूप दे और दूसरों की आज़ादी को सीमित करे।
इसलिए करनैल सिंह को यह समझना चाहिए कि उनका कर्तव्य समाज में एकता और सहिष्णुता बढ़ाना है, न कि विभाजन और असहमति फैलाना। जनता और व्यापारियों को यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि उनकी आज़ादी और विकल्प किसी भी राजनीतिक या धार्मिक बयान के अधीन नहीं होंगे।