स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने आज भौतिकी के क्षेत्र में वर्ष 2025 के नोबेल पुरस्कार की घोषणा करके दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय को एक नई उत्साह से भर दिया है। यह प्रतिष्ठित सम्मान तीन अमेरिकी-आधारित वैज्ञानिकों – जॉन क्लार्क (John Clarke), मिशेल एच. डेवोरेट (Michel H. Devoret) और जॉन एम. मार्टिनिस (John M. Martinis) – को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार एक मौलिक और अभूतपूर्व खोज के लिए दिया गया है, जिसका शीर्षक है: “एक विद्युत सर्किट में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम मैकेनिकल टनलिंग और ऊर्जा मात्राकरण (Energy Quantisation) की खोज”।
यह खोज इस बात का प्रमाण है कि क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) के ‘विचित्र’ और विरोधाभासी माने जाने वाले प्रभाव केवल सूक्ष्म कणों, जैसे इलेक्ट्रॉन या परमाणु, तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्हें एक ऐसे यंत्र में भी देखा जा सकता है जिसे “हाथ में पकड़ा जा सके”। इस सफलता ने क्वांटम भौतिकी को प्रयोगशाला की दीवारों से निकालकर, बड़े पैमाने के इंजीनियर किए गए उपकरणों के दायरे में ला दिया है।
खोज का मर्म: जब एक सर्किट ने एक ‘कण’ की तरह व्यवहार किया
पारंपरिक भौतिकी हमें सिखाती है कि यदि आप किसी गेंद को दीवार से टकराते हैं, तो वह या तो वापस उछल जाएगी या रुक जाएगी। उसे दीवार के आर-पार जाने के लिए पर्याप्त ऊर्जा की आवश्यकता होगी। हालांकि, क्वांटम यांत्रिकी बताती है कि सूक्ष्म कणों के पास ऊर्जा अवरोधों (Energy Barriers) के माध्यम से ‘सुरंग बनाने’ (Tunnelling) की एक निश्चित संभावना होती है।
जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोरेट और जॉन मार्टिनिस ने 1980 के दशक में किए गए अपने सावधानीपूर्वक प्रयोगों में, इस अवधारणा को एक विशाल स्तर पर सिद्ध कर दिया।
उन्होंने एक सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रिकल सर्किट का उपयोग किया। सुपरकंडक्टर वे पदार्थ होते हैं जो बिना किसी प्रतिरोध के बिजली का संचालन करते हैं, और इसमें मौजूद अरबों इलेक्ट्रॉन एक साथ मिलकर ‘कूपर पेयर’ नामक एक सामूहिक क्वांटम वस्तु के रूप में व्यवहार करते हैं।
वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया कि इस पूरे सर्किट में सामूहिक रूप से आवेश (Charge) का प्रवाह एक एकल, मैक्रोस्कोपिक क्वांटम ऑब्जेक्ट की तरह काम करता है, जो क्वांटम टनलिंग की प्रक्रिया से गुजर सकता है और शून्य-वोल्टेज वाली अवस्था से बाहर निकलकर, एक मापने योग्य वोल्टेज उत्पन्न कर सकता है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि इस सर्किट की ऊर्जा अवस्थाएँ मात्राकृत (Quantised) हैं, जिसका अर्थ है कि यह केवल विशिष्ट, असतत मात्रा में ही ऊर्जा को अवशोषित या उत्सर्जित करता है, ठीक उसी तरह जैसे एक परमाणु करता है।
इस खोज ने भौतिकी की पुरानी मान्यताओं को चुनौती दी और क्वांटम सिद्धांत की वैधता को एक ऐसे पैमाने पर स्थापित किया जो पहले अकल्पनीय था।
तकनीकी क्रांति की नींव: क्वांटम कंप्यूटर का भविष्य
नोबेल समिति ने इस खोज के दूरगामी परिणामों पर विशेष ज़ोर दिया। यह कार्य केवल अकादमिक जिज्ञासा का विषय नहीं रहा है; इसने आधुनिक क्वांटम प्रौद्योगिकी की नींव रखी है। नोबेल समिति के अध्यक्ष ओले एरिक्सन ने कहा, “यह वर्ष का पुरस्कार क्वांटम प्रौद्योगिकी की अगली पीढ़ी को विकसित करने के अवसर प्रदान करता है, जिसमें क्वांटम क्रिप्टोग्राफी, क्वांटम कंप्यूटर और क्वांटम सेंसर शामिल हैं।”
क्वांटम कंप्यूटिंग: तीनों वैज्ञानिकों के कार्य ने सुपरकंडक्टिंग क्वबिट्स (Superconducting Qubits) – क्वांटम कंप्यूटर के मौलिक निर्माण खंड – के विकास का मार्ग प्रशस्त किया। उनकी खोज ने सर्किट को एक ‘कृत्रिम परमाणु’ (Artificial Atom) की तरह व्यवहार करने की अनुमति दी, जो क्वांटम कंप्यूटरों के लिए आवश्यक आधार है।
सुरक्षित संचार: इस कार्य से विकसित क्वांटम सेंसर और क्रिप्टोग्राफी प्रणालियाँ भविष्य में अत्यधिक सुरक्षित संचार और संवेदन क्षमताओं को जन्म देंगी।
संक्षेप में, इस खोज ने क्वांटम यांत्रिकी को ‘अति-सूक्ष्म’ (Ultra-Small) के दायरे से निकालकर, ‘इंजीनियर किए गए उपकरणों’ (Engineered Devices) के क्षेत्र में ला दिया है, जिसने दुनिया भर में क्वांटम रेस को गति दी है।
नोबेल विजेता: प्रतिभा और तपस्या का संगम
पुरस्कार की घोषणा के बाद, कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में प्रोफेसर जॉन क्लार्क ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनके लिए “जीवन का सबसे बड़ा आश्चर्य” था। क्लार्क, जो कि सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रॉनिक्स और SQUID (Superconducting Quantum Interference Device) तकनीक के क्षेत्र में एक अग्रणी हैं, ने डेवोरेट और मार्टिनिस के साथ मिलकर बर्कले की प्रयोगशाला में यह ऐतिहासिक प्रयोग किया। मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस ने पोस्टडॉक्टोरल और डॉक्टोरल छात्र के रूप में क्लार्क के साथ काम किया और इस जटिल प्रयोग को सफलता तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी यह साझेदारी वैज्ञानिक सहयोग और नवाचार का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
पुरस्कार राशि के तौर पर तीनों वैज्ञानिकों को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग $1.2 मिलियन या ₹10.3 करोड़ रुपये) की राशि संयुक्त रूप से दी जाएगी। ये सभी दिसंबर में स्टॉकहोम में आयोजित होने वाले भव्य समारोह में स्वीडन के राजा के हाथों अपना पदक और डिप्लोमा प्राप्त करेंगे।
इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार उस प्रश्न का निर्णायक उत्तर देता है जो दशकों से भौतिकविदों को परेशान कर रहा था: कितना बड़ा तंत्र क्वांटम व्यवहार प्रदर्शित कर सकता है? क्लार्क, डेवोरेट और मार्टिनिस ने न केवल उत्तर दिया, बल्कि मानवता को एक ऐसे तकनीकी भविष्य की ओर भी प्रेरित किया जहाँ क्वांटम यांत्रिकी का पूरा लाभ उठाया जा सके।