नई दिल्ली 9 अक्टूबर 2025
देश में इस समय न्यायपालिका की गरिमा और दलित अधिकारों को लेकर एक बहुत ही गंभीर और नई राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है। दलित कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. सी. गौतम ने केंद्र और राज्य सरकारों पर सख़्त शब्दों में हमला करते हुए यह बात कही है कि “सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर हमला और आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के उत्पीड़न से परेशान होकर हुई आत्महत्या जैसी बेहद दुखद घटनाएँ देश की न्याय और संवैधानिक व्यवस्था पर गहरा धब्बा लगाती हैं।”
गौतम का स्पष्ट मानना है कि अब “चुप रहने का नहीं, संघर्ष करने का समय” आ गया है। उन्होंने यह बड़ी घोषणा की है कि 11 अक्टूबर 2025 को देश के सभी ज़िला मुख्यालयों पर दलित कांग्रेस द्वारा एक ज़ोरदार और व्यापक प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य है — “न्याय के लिए आवाज़ को बुलंद करना” और समाज में “दलितों के प्रति होने वाले अन्याय की संस्कृति” का पुरज़ोर विरोध करना।
CJI पर हमला और IPS आत्महत्या — यह लोकतंत्र के चेहरे पर कालिख है
दलित कांग्रेस अध्यक्ष एस. सी. गौतम ने अपनी बात को ज़ोर देते हुए कहा कि देश में कुछ ताक़तों द्वारा एक सुनियोजित साज़िश के तहत न्यायपालिका और दलित अधिकारियों को डराने और धमकाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ की गई आपत्तिजनक टिप्पणियाँ और हमला जैसी घटनाएँ देश की आत्मा पर चोट पहुँचाती हैं।” वहीं, उन्होंने आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार का ज़िक्र करते हुए कहा कि “एक ईमानदार आईपीएस अधिकारी को जिस तरह प्रताड़ना (उत्पीड़न) का शिकार बनाया गया, और जिसके कारण उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा, वह सत्ता और सिस्टम के असंवेदनशील और क्रूर रवैये का खुला प्रमाण है।”
गौतम ने सीधे सवाल किया है कि “अगर संविधान के रक्षक ही इस देश में असुरक्षित महसूस करेंगे, तो एक आम दलित, गरीब और पिछड़ा आदमी कैसे सुरक्षित रहेगा?” उन्होंने केंद्र सरकार से दो बड़ी और स्पष्ट माँगे की हैं: पहली, सुप्रीम कोर्ट के CJI पर हुए हमले के मामले की उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जाँच हो; और दूसरी, आईपीएस वाई पूरन कुमार आत्महत्या मामले में सभी ज़िम्मेदार अधिकारियों पर हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा तुरंत दर्ज किया जाए।
11 अक्टूबर को देशव्यापी प्रदर्शन — अब न्याय की चुप्पी नहीं चलेगी
दलित कांग्रेस ने यह ऐलान किया है कि 11 अक्टूबर को देश के हर ज़िला मुख्यालय पर एक साथ धरना-प्रदर्शन किया जाएगा और “संविधान बचाओ, न्याय दिलाओ” नाम का एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा। इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में हज़ारों की संख्या में कार्यकर्ता, विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, वकील, और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल होने वाले हैं।
दलित कांग्रेस ने सभी दलित और देश के सभी प्रगतिशील संगठनों से यह भावनात्मक अपील की है कि वे इस देशव्यापी प्रदर्शन में शामिल होकर न्याय और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी आवाज़ को मज़बूती दें। गौतम ने यह स्पष्ट किया कि “यह लड़ाई सिर्फ़ दलित कांग्रेस की नहीं है, बल्कि यह हर उस नागरिक की लड़ाई है जो न्याय में विश्वास रखता है।”
उन्होंने आगे कहा कि “जो भी इंसाफ़ में आस्था रखता है, उसे इस संघर्ष में आगे आना होगा। हम किसी भी सत्ता या तंत्र के डर से न तो झुकेंगे और न ही दबेंगे।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि यह आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से ही किया जाएगा, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी कि यदि सरकार ने इस शांतिपूर्ण विरोध को दबाने की कोशिश की, तो दलित कांग्रेस इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े जनांदोलन में बदल देगी।
राजेंद्र पाल का समर्थन — न्याय की आवाज़ अब हर गली से उठेगी
दलित कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और @INCSCDept के प्रमुख एडवोकेट राजेंद्र पाल ने भी इस महत्वपूर्ण आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन देने की बात कही है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया है कि यह लड़ाई किसी एक व्यक्ति या संस्था की रक्षा की नहीं है, बल्कि यह “भारत के संविधान और देश की न्यायिक गरिमा की रक्षा” की लड़ाई है। राजेंद्र पाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि “CJI पर हमला और दलित अधिकारियों का उत्पीड़न यह दिखाता है कि देश में कुछ ताकतें जानबूझकर न्यायिक ढाँचे को कमज़ोर करना चाहती हैं।”
उन्होंने कहा कि “हम यह कभी नहीं होने देंगे। 11 अक्टूबर को देश के हर ज़िला मुख्यालय से न्याय की घंटी बजनी चाहिए, और यह आवाज़ दिल्ली तक पहुँचनी चाहिए।” उनका मानना है कि इस प्रदर्शन से आम जनता में भी यह संदेश जाएगा कि न्याय के लिए लड़ना कितना ज़रूरी है और संविधान की रक्षा करना देश के हर नागरिक का कर्तव्य है।
दलित कांग्रेस का संदेश — न्याय नहीं तो शांति नहीं
दलित कांग्रेस ने अपने इस बड़े राष्ट्रव्यापी अभियान के लिए एक सशक्त नारा दिया है: “न्याय नहीं तो शांति नहीं, संविधान ही हमारी ताकत है।” पार्टी ने यह साफ़ किया है कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि यह हर तरह के अन्याय के ख़िलाफ़ है जो देश में हो रहा है।
यह आंदोलन हर उस नागरिक की ईमानदार आवाज़ है जो देश के कानून, समानता और न्याय के सिद्धांतों पर अपना विश्वास रखता है। एस. सी. गौतम ने अपने अंतिम वक्तव्य में कहा कि “हम इसलिए लड़ेंगे, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ देश के न्याय और संविधान पर पूरा भरोसा कर सकें। यह आंदोलन सच्चाई और संविधान की रक्षा के लिए है — और जब तक इन दोनों मामलों में न्याय नहीं मिलेगा, दलित कांग्रेस का यह संघर्ष किसी भी सूरत में नहीं रुकेगा।”