वॉशिंगटन, 26 सितंबर 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसी अभूतपूर्व पॉलिसी घोषणा की है जिसने मध्य-पूर्व की राजनीतिक जटिलताओं को और तीव्र कर दिया है। ट्रंप ने स्पष्ट कहा है, “मैं इजरायल को वेस्ट बैंक पर कब्जा करने की अनुमति नहीं दूँगा — नो, मैं इसकी अनुमति नहीं दूँगा, यह नहीं होने वाला है।”
ट्रंप की यह टिप्पणी ओवल ऑफिस से पत्रकारों से बातचीत के दौरान आई, जब उनसे पूछा गया कि इजरायल में कुछ अति-दक्ष राजनैतिक धारणाएँ वेस्ट बैंक पर सार्वभौमिक अधिपत्य की कल्पना कर रही हैं। उन्होंने बिना किसी रोक-टोक के कहा कि उन्होंने इस विषय को इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ उठाया है और यह उनकी दृढ़ता का संकेत है कि अमेरिका इस मार्ग पर आगे बढ़ने की अनुमति नहीं देगा।
राजनीतिक भू-भाग पर टकराव: ट्रंप की नीति और इज़राइल की अंतरद्वंद्वाएँ
ट्रंप का ये रुख बहुत कुछ इज़राइल के भीतर बढ़ते दबावों के बीच आया है। नेतन्याहू सरकार के भीतर कई चरमपंथी और दक्षिणपंथी धड़ों ने वेस्ट बैंक में आधिपत्य को अगली प्राथमिकता बना लिया है। उनमें से कुछ तो यह चाहते हैं कि पूरी वेस्ट बैंक या उसके बड़े हिस्सों को इज़राइली कानूनों में शामिल किया जाए — कदम जो कथित रूप से भविष्य में एक फ़िलिस्तीनी राज्य की संभावना को लगभग समाप्त कर देगा।
राष्ट्रों और राजनयिक समुदायों ने इस तरह की योजनाओं को अंतरराष्ट्रीय कानून एवं संयुक्त राष्ट्र की मान्यताओं के खिलाफ माना है। वेस्ट बैंक पर कब्जा करना न सिर्फ फ़िलिस्तीनी स्वायत्तता को चुनौती देगा, बल्कि क्षेत्रीय तनाव और सार्वभौमिक विरोध को भी और बढ़ाएगा। ट्रंप के इस फैसले ने अमेरिका की इस पारंपरिक भूमिका को पुनर्स्थापित करने का संकेत दिया है कि कोई भी कदम दो-राज्य समाधान की संभावना को गहरा खतरा नहीं पहुंचाएगा।
ट्रंप का दांव: बोली या वास्तविकता?
हालाँकि ट्रंप की बातों में भारी अभिज्ञापन और दृढ़ता दिखती है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि शब्दों का असर तभी मायने रखेगा जब उन्हें कड़ी कार्रवाई के साथ आगे बढ़ाया जाए। ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस प्रकार और किन उपायों से इस प्रतिबंध को लागू कर पाएँगे — क्या आर्थिक दबाव, सैन्य समर्थन में कटौती या अन्य राजनयिक उपाय?
कुछ विद्वानों ने यह भी आशंका जताई है कि ट्रंप की अस्थिर राजनैतिक प्रवृत्ति कभी-कभी उसकी बातों को पलटने की प्रवृत्ति दिखाती है। अतः यह देखना होगा कि वह केवल भाषणबाज़ी में सीमित रहते हैं या इज़राइल के आंतरिक योजनाओं को रोकने के लिए ठोस रणनीति अपनाते हैं।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव: संतुलन कायम करना आसान नहीं
ट्रंप का यह रुख अरब देशों और फिलिस्तीनी नेताओं के बीच अपेक्षित स्वागत का विषय है, क्योंकि उन्होंने वर्षों से वेस्ट बैंक की सुरक्षा और फ़िलिस्तीनी राज्य की मान्यता की वकालत की है।
दूसरी ओर, इज़राइली नेतागण इस दबाव को गंभीर चुनौती मान सकते हैं; सरकार के भीतर ऐसे तत्व हैं जो वेस्ट बैंक को “वापसी भूमि” के रूप में देखते हैं। यदि ट्रंप अपनी घोषणाओं को लागू करते हैं, तो यह इज़राइल की आंतरिक राजनीति और उसके विदेश नीति मकसदों को प्रभावित कर सकता है।
अभी यह समय चल रहा है — यह देखना होगा कि क्या यह सिर्फ एक कूट-रूढ़ी वक्तव्य रहा या वह सचमुच वो कदम हैं जो इतिहास में दर्ज हो जाएँ। ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी सीमा है — “Enough is enough. It’s time to stop now.”