14 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ को ईश्वर ने भरपूर संसाधन दिए हैं — कोयला, बॉक्साइट, लौह अयस्क, जलशक्ति और श्रमिकों की ताक़त। मगर दशकों तक यह राज्य खनिज संपन्न लेकिन विकास से वंचित रहा। यहां की धरती ने पूरे देश को ऊर्जा दी, पर बदले में यहां के युवाओं को मिला विस्थापन, बेरोज़गारी और पलायन।
भाजपा शासन ने इस सामाजिक और आर्थिक विषमता को नीति परिवर्तन और निवेश क्रांति के ज़रिए चुनौती दी। अब छत्तीसगढ़ सिर्फ़ खनन का राज्य नहीं, बल्कि उद्योग, नवाचार, निवेश और रोज़गार का उभरता केंद्र बन गया है — और यह बदलाव दिखाई भी देता है।
औद्योगिक विस्तार: अब सिर्फ़ खदान नहीं, कारखानों की रफ्तार
भाजपा शासन ने छत्तीसगढ़ की भौगोलिक ताक़त को आर्थिक अवसर में बदला। बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, कोरबा, जांजगीर, रायगढ़ और बालोद जैसे ज़िलों में नए औद्योगिक क्लस्टर, स्टील प्लांट्स, एल्युमीनियम हब, फूड प्रोसेसिंग ज़ोन, और टेक्सटाइल पार्क्स की स्थापना हुई।
“ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” को राज्य में ज़मीनी स्तर पर लागू करते हुए सिंगल विंडो सिस्टम, ऑनलाइन अप्रूवल, और सस्ती ज़मीन नीति लागू की गई। इससे देश-विदेश के निवेशकों का विश्वास बढ़ा और राज्य में हज़ारों करोड़ रुपये का निजी निवेश आया। अब छत्तीसगढ़ सिर्फ़ कच्चा माल देने वाला राज्य नहीं, बल्कि “मेक इन छत्तीसगढ़” का नया मॉडल बन रहा है।
रोज़गार की नई राहें: युवाओं के हाथ में हुनर, नज़रों में सपना
भाजपा शासन ने युवाओं को नौकरी के लिए केवल सरकारी परीक्षा की लाइन में खड़ा नहीं किया, बल्कि उन्हें हुनर, प्रशिक्षण और स्टार्टअप संस्कृति के ज़रिए सशक्त बनाया। “मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना”, “स्टार्टअप छत्तीसगढ़ मिशन”, और “मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना” जैसी पहलों ने लाखों युवाओं को हाई-टेक ट्रेड्स, MSME सेक्टर, ई-कॉमर्स, कृषि-आधारित उद्योगों में प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता दी।
बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग में इन्क्यूबेशन सेंटर, डिजिटल स्किलिंग हब, और इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम्स से छोटे उद्यमियों का एक नया वर्ग तैयार हुआ है — जो स्वरोज़गार से गांव-गांव में अवसरों की बुनियाद रख रहा है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश: हर सड़क, हर पुल, हर पार्क एक संभावना
छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर को सिर्फ़ विकास का पर्याय नहीं, निवेश और रोज़गार का आधार माना। राज्य में हज़ारों किलोमीटर नई सड़कें, स्टील फ्लाईओवर, स्मार्ट इंडस्ट्रियल टाउनशिप, और लॉजिस्टिक पार्क्स का निर्माण हुआ। सड़कें, रेल और हवाई संपर्क को तीन गुना तेज़ किया गया। अब बस्तर जैसे क्षेत्र भी कारोबार के नक्शे पर आ गए हैं। अंतरराज्यीय व्यापार, एक्सपोर्ट क्लस्टर और MSME एक्सपो जैसे आयोजनों ने स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और वैश्विक बाजारों से जोड़ने का काम किया।
हरित उद्योग और आत्मनिर्भरता: परंपरा और पर्यावरण के साथ विकास
भाजपा शासन में उद्योग और पर्यावरण के बीच संतुलन की रणनीति अपनाई गई। ईको-फ्रेंडली इंडस्ट्री, सोलर पार्क्स, अपशिष्ट प्रबंधन उद्योग और जल संरक्षण आधारित परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई। गौठानों में बायोगैस, गोबर से बिजली, और महिला समूहों के उत्पादों को MSME इकाइयों से जोड़ने के प्रयासों से स्वदेशी और सतत विकास को नई दिशा मिली है।
छत्तीसगढ़ अब निवेशकों का गंतव्य: राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहचान
भाजपा सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ ने देश में ही नहीं, दुबई, लंदन, सिंगापुर, जापान और जर्मनी तक इन्वेस्टमेंट समिट आयोजित कर अपनी उद्योग नीति और संसाधन क्षमता का प्रदर्शन किया। NRI और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने के लिए टैक्स लाभ, सस्ती बिजली, तेज़ अनुमोदन प्रक्रिया और उपलब्ध कुशल श्रमिक बल को सामने लाया गया। इसका नतीजा है कि अब छत्तीसगढ़ निवेशकों के लिए भरोसे का ब्रांड बन चुका है।
भाजपा शासन में छत्तीसगढ़ की आर्थिक तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। खनिज से स्टार्टअप, श्रमिक से निर्माता, और कारीगर से निर्यातक तक — हर वर्ग को विकास का भागीदार बनाया गया है।
यह परिवर्तन केवल आर्थिक नहीं, सामाजिक और वैचारिक भी है — जो छत्तीसगढ़ को आत्मनिर्भर भारत का अग्रदूत बना रहा है।
अब यह राज्य सिर्फ़ खनन क्षेत्र नहीं, बल्कि मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया का एक सफल मॉडल है — जहाँ विकास केवल गगनचुंबी इमारतों में नहीं, श्रमिक के हाथों की गरिमा में दिखता है।