देश के आदिवासी इलाकों में उत्तरदायी शासन और समावेशी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आज भोपाल से ‘आदि कर्मयोगी – उत्तरदायी शासन हेतु राष्ट्रीय मिशन’ के अंतर्गत दूसरे रीजनल प्रोसेस लैब (RPL) की शुरुआत की। यह सात दिवसीय आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ विज़न को साकार करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है, जिसका लक्ष्य दो मिलियन यानी 20 लाख ग्रासरूट कार्यकर्ताओं और ग्राम स्तरीय परिवर्तनकर्ताओं की एक सशक्त कैडर तैयार करना है।
कार्यक्रम की शुरुआत मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के स्टेट मास्टर ट्रेनर्स (SMTs) को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से हुई। ये SMTs आगे जिला और पंचायत स्तर पर कैपेसिटी बिल्डिंग को मजबूत करेंगे।
आदि कर्मयोगी केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक ‘Whole of Nation’ आंदोलन है, जो शासन को जमीनी स्तर से फिर से परिभाषित करने की प्रेरणा देता है। यह मिशन प्रधानमंत्री जन-जातीय समृद्धि योजना (PM-JANMAN) और DAJGUA (Whole of Society Model) जैसे फ्लैगशिप कार्यक्रमों के साथ समन्वय में चलाया जा रहा है। इस मिशन की आत्मा है संवेदनशीलता, संस्कृति और संरचना का समन्वय, जिससे आदिवासी युवाओं की आकांक्षाओं को संस्थागत सहयोग के साथ जोड़ते हुए उन्हें अधिकार, गरिमा और सम्मान से सशक्त किया जा सके।
कार्यक्रम में भारतीय ग्रामीण आजीविका फाउंडेशन (BRLF) के अध्यक्ष गिरीश प्रभुणे ने इसे एक “परिवर्तनकारी हस्तक्षेप” बताते हुए कहा कि यह पहल समय की मांग है और इससे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्थानीय कौशल आधारित आजीविका और सांस्कृतिक विरासत की पुनर्स्थापना संभव होगी।
मध्यप्रदेश के जनजातीय कल्याण मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह, छत्तीसगढ़ के प्रधान सचिव सोनमणि बोरा, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव एल. वेंकटेश्वरलु, और मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव गुलशन बमरा ने अलग-अलग सत्रों में बोलते हुए कहा कि स्थानीय अधिकारियों, योजनाओं में समन्वय, और प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के माध्यम से अंतिम छोर तक सेवा पहुंचाना ही आदि कर्मयोगी मिशन का मूल उद्देश्य है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव विभु नायर ने वर्चुअली संबोधित करते हुए SMTs से कहा कि वे “परिवर्तन के अग्रदूत” बनें और अपने प्रशिक्षण के अनुभवों को पूरे राज्य व जिले में फैलाएं। उन्होंने इस मिशन को उत्तरदायी आदिवासी शासन की नई परिभाषा बताया।
नेस्ट्स के आयुक्त अजीत श्रीवास्तव ने भोपाल को आदिवासी विकास गतिविधियों का केंद्र बताते हुए इसे प्रधानमंत्री मिशन कर्मयोगी विजन के अनुरूप एक समग्र प्रशासनिक नवाचार कहा।
जाफर मलिक, संयुक्त सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय, ने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि RPL एक “ग्रासरूट बुद्धिमत्ता का संगम” है, जिससे शासन व्यवस्था में संरचनात्मक सुधार आएगा। उन्होंने इसे Whole of Government से Whole of Society और अब Whole of Nation की यात्रा का अहम पड़ाव बताया।
इस मिशन के तहत जुलाई-अगस्त 2025 में सात रीजनल प्रोसेस लैब्स का आयोजन किया जाएगा। SMTs के प्रशिक्षण के बाद राज्य स्तर पर स्टेट प्रोसेस लैब्स (SPLs) और फिर जिला स्तर पर जिला मास्टर ट्रेनर्स (DMTs) तैयार किए जाएंगे, जिससे नीति और सेवा अंतिम नागरिक तक पहुंचे।
आदि कर्मयोगी अभियान सिर्फ सरकार नहीं, समाज के हर हिस्से की भागीदारी से आदिवासी समाज को सशक्त करने का एक अभूतपूर्व राष्ट्रीय प्रयास बनता जा रहा है।