Home » International » नेतन्याहू का संदेश: हमास को जड़ से खत्म करेंगे

नेतन्याहू का संदेश: हमास को जड़ से खत्म करेंगे

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

तेल अवीव/न्यूयॉर्क, 16 अक्टूबर 2025 

 इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एक बार फिर अपने आक्रामक तेवरों के साथ चर्चा में हैं। नेतन्याहू ने हमास के खिलाफ खुली चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो “हमास के पूरे आतंकवादी ढाँचे को धरती से मिटा देंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि गाज़ा में “काम अधूरा नहीं छोड़ा जाएगा।”

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब क्षेत्र में तनाव पहले से चरम पर है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील कर रहा है। नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा और कई सार्वजनिक मंचों पर कहा कि जब तक हमास अपनी सैन्य ताक़त और आतंकी ढांचे को समाप्त नहीं करता, तब तक कोई स्थायी शांति संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इज़रायल “हर कीमत पर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।”

हालांकि, नेतन्याहू की यह भाषा अब “कूटनीतिक संयम की सीमा” पार करती दिख रही है। कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने इसे संभावित सैन्य उकसावे और विनाशकारी रणनीति के संकेत के रूप में देखा है। कुछ देशों ने इसे “राजनैतिक पागलपन” और “अविचारित खतरा” तक बताया है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई मानवाधिकार संगठनों ने नेतन्याहू के इस बयान पर गहरी चिंता जताई है। वहीं, कुछ पश्चिमी देशों ने इज़रायल की “सुरक्षा चिंताओं” को समझने की बात कही, परन्तु गाज़ा में नागरिकों के बढ़ते मानवीय संकट पर भी सवाल उठाए। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में नेतन्याहू के भाषण के दौरान कई प्रतिनिधियों ने विरोधस्वरूप बहिर्गमन भी किया।

गाज़ा में बढ़ता मानवीय संकट

राजनीतिक और सैन्य टकराव के बीच गाज़ा में खाद्य, पानी और चिकित्सा आपूर्ति की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। इज़रायल ने राहत सामग्री को हमास की “वापसी और हथियार नियंत्रण” की शर्तों से जोड़ दिया है, जिससे मदद पहुँचने में बाधा आई है। मानवाधिकार एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि अगर स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो गाज़ा में मानवीय तबाही का खतरा गहराएगा।

विश्लेषक बोले — नेतन्याहू का आक्रोश बन सकता है उल्टा असर

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि नेतन्याहू का यह “आक्रामक राष्ट्रीयता” वाला रुख न केवल मध्य पूर्व की स्थिरता को प्रभावित करेगा, बल्कि इज़रायल की आंतरिक राजनीति में भी तनाव बढ़ा सकता है। उनका कहना है कि “सैन्य भाषा में शांति संभव नहीं होती”, और अगर यह टकराव बढ़ा तो नागरिक आबादी सबसे बड़ी कीमत चुकाएगी।

शांति की गुंजाइश धुंधली

कूटनीतिक प्रयास फिलहाल ठंडे पड़ते दिख रहे हैं। मध्यस्थ देशों, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की कोशिशें भी सीमित परिणाम दे रही हैं। इस समय, नेतन्याहू के शब्दों और हमास की जिद के बीच शांति की उम्मीदें बहुत धुंधली नज़र आ रही हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *