नई दिल्ली 9 सितम्बर 2025
भारत के संसदीय इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में शानदार जीत दर्ज करते हुए देश के 15वें उपराष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया। उन्हें संसद सदस्यों से कुल 452 वोट मिले। उनके प्रतिद्वंदी, विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुधर्शन रेड्डी को करीब 300 वोट प्राप्त हुए। भारी अंतर से मिली इस जीत ने एनडीए की रणनीतिक बढ़त और संगठनात्मक मजबूती को एक बार फिर साबित कर दिया।
मतदान प्रक्रिया और मतगणना का नाटकीय दौर
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 9 सितंबर 2025 को संसद भवन में आयोजित हुआ। सुबह 10 बजे शुरू हुए इस मतदान में लोकसभा और राज्यसभा के कुल 781 सांसदों को मतदान का अधिकार था। मतदान का प्रतिशत बेहद ऊँचा रहा, क्योंकि लगभग 98% सांसदों ने वोट डाले। केवल 14 सदस्य ही मतदान से अनुपस्थित रहे। मतदान प्रक्रिया शाम 5 बजे समाप्त हुई और ठीक 6 बजे मतगणना शुरू की गई। कुछ ही घंटों में स्पष्ट हो गया कि एनडीए उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन निर्णायक बढ़त बना चुके हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति धंनखड़ के इस्तीफ़े के बाद हुआ चुनाव
यह चुनाव सामान्य परिस्थितियों में नहीं हुआ। दरअसल, तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जुलाई 2025 में स्वास्थ्य कारणों से अपना पद छोड़ दिया था। उनके इस्तीफ़े से संवैधानिक रूप से देश का दूसरा सर्वोच्च पद खाली हो गया। ऐसे में नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया तुरंत शुरू की गई। इस बार का चुनाव न केवल औपचारिक था बल्कि इसे एनडीए बनाम इंडिया ब्लॉक की राजनीतिक ताकत की परीक्षा के तौर पर भी देखा जा रहा था।
राजनीतिक समीकरण और गठबंधन की लड़ाई
उपराष्ट्रपति चुनाव ने एक बार फिर दिखाया कि संसद में एनडीए का बहुमत विपक्ष की तुलना में मज़बूत है। इंडिया ब्लॉक ने अपनी ओर से बी. सुधर्शन रेड्डी जैसे प्रतिष्ठित और सम्मानित चेहरे को मैदान में उतारा था। विपक्ष ने उम्मीद जताई थी कि नैतिक और वैचारिक स्तर पर यह चुनाव उनके लिए लाभदायक साबित होगा। लेकिन एनडीए की संख्या बल और अनुशासित मतदान ने विपक्ष को करारी शिकस्त दी। यह परिणाम आगामी राजनीतिक समीकरणों और 2026 के लोकसभा चुनावों की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
संवैधानिक महत्व और राधाकृष्णन की भूमिका
भारत का उपराष्ट्रपति संवैधानिक रूप से देश का दूसरा सबसे बड़ा पद है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं और सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेदारी निभाते हैं। साथ ही, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या पद रिक्त होने की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति का दायित्व भी संभालते हैं। ऐसे में सी. पी. राधाकृष्णन की भूमिका आने वाले वर्षों में बेहद अहम रहेगी। वह न केवल संसद में शांति और संतुलन बनाए रखने की कोशिश करेंगे बल्कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संवाद का सेतु भी बनेंगे।
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