कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संचार विभाग के महासचिव जयराम रमेश ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर एक के बाद एक करारे प्रहार किए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार आज जिस तरह से काम कर रही है, उससे यह स्पष्ट होता है कि देश के बड़े निर्णय अब दिल्ली से नहीं, बल्कि वाशिंगटन से घोषित किए जाते हैं। जयराम रमेश ने कहा कि यह स्थिति भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और संप्रभुता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। उन्होंने कहा कि “जो सरकार ‘आत्मनिर्भर भारत’ का नारा देती है, उसके निर्णय अगर अमेरिका के राष्ट्रपति के ट्वीट से सामने आते हैं, तो यह आत्मनिर्भरता नहीं, आत्मसमर्पण है।”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र: भारत का फैसला, लेकिन घोषणा अमेरिका से
जयराम रमेश ने अपने बयान में विशेष रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उदाहरण दिया, जिसे हाल ही में सुरक्षा कारणों से चर्चा में लाया गया था। उन्होंने कहा कि 10 मई 2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर घोषणा की कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रोक दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि यह जानकारी भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय या विदेश मंत्रालय की तरफ से नहीं आई, बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने इसे सार्वजनिक किया। इसके बाद, ट्रंप ने अलग-अलग मंचों से 51 बार दोहराया कि उन्होंने भारत को ऑपरेशन रोकने के लिए कहा था, और भारत ने उनके निर्देश पर कदम उठाया। जयराम रमेश ने सवाल किया कि क्या यह वही भारत है जो कभी “ना झुकेगा, ना रुकेगा” का दावा करता था? उन्होंने कहा, “आज की स्थिति यह है कि देश के फैसले विदेशी धरती से घोषित हो रहे हैं और हमारी सरकार केवल दर्शक बनी हुई है।”
रूस से तेल खरीदने पर ट्रंप का दबाव: क्या भारत ने आत्मसम्मान खो दिया है?
कांग्रेस महासचिव ने आगे कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप का हालिया बयान और भी चौंकाने वाला है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत को स्पष्ट रूप से कहा है कि वह रूस से तेल नहीं खरीदे, और उन्हें भरोसा दिलाया गया है कि भारत अब रूस से तेल खरीदारी नहीं करेगा। जयराम रमेश ने इस पर गहरी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह भारत की विदेश नीति में अमेरिका की सीधी दखलअंदाजी है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी जब कहते हैं कि भारत ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ में विश्वास करता है, तो क्या इसका मतलब यह है कि अब भारत अपने आर्थिक फैसले भी अमेरिका की अनुमति से लेगा?” उन्होंने आगे कहा कि भारत जैसे बड़े देश के लिए यह स्थिति बेहद अपमानजनक है कि उसके संसाधन, उसके व्यापारिक रिश्ते और उसकी कूटनीतिक दिशा अब वाशिंगटन के इशारों पर तय हो रही है।
“56 इंच की छाती कहां गई?” — प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल
जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हर मंच से “56 इंच की छाती” और “राष्ट्रहित” की बातें करते हैं, लेकिन जब अमेरिकी राष्ट्रपति भारत की विदेश नीति पर खुलकर टिप्पणी करते हैं, तब प्रधानमंत्री एक शब्द भी नहीं बोलते।
उन्होंने कहा, “इतना सब कुछ कहा जा रहा है — ऑपरेशन सिंदूर पर, रूस से तेल खरीदने पर — लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की आवाज़ कहीं सुनाई नहीं दे रही। आखिर वे किस डर से चुप हैं? क्या वे ट्रंप से डरते हैं?” कांग्रेस नेता ने कहा कि देश के लोग अब यह जानना चाहते हैं कि क्या उनकी सरकार भारत की है या किसी विदेशी दबाव में चलने वाली सत्ता है।
राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रश्न: ‘मेड इन वाशिंगटन’ नहीं, ‘मेड इन इंडिया’ चाहिए
जयराम रमेश ने अपने बयान के अंत में कहा कि यह मामला केवल राजनीति का नहीं बल्कि भारत के आत्मसम्मान और स्वतंत्र विदेश नीति का प्रश्न है। उन्होंने कहा, “भारत की जनता यह जानने की हकदार है कि उनके देश की नीतियाँ कौन तय करता है — भारत के प्रधानमंत्री या अमेरिका के राष्ट्रपति?” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मोदी सरकार इसी तरह विदेशी दबाव में निर्णय लेती रही, तो भारत की वैश्विक साख को गहरी चोट पहुंचेगी।
अपने बयान के अंत में जयराम रमेश ने कहा — “मोदी सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि भारत की नीतियाँ ‘मेक इन इंडिया’ हैं या अब ‘मेड इन वाशिंगटन’ बन चुकी हैं। देश को आत्मनिर्भरता नहीं, आत्मसम्मान चाहिए — और कांग्रेस इस सवाल को हर मंच पर उठाती रहेगी।”