कोलकाता, पश्चिम बंगाल | 2 अगस्त 2025
पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर क्षेत्र में पशुओं को खेत में ले जा रहे मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों के साथ मारपीट करने के मामले ने सांप्रदायिक तनाव को हवा दे दी है। घटना की सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई और शनिवार को आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जिनमें से एक भाजपा का युवा नेता परिजात गांगुली बताया जा रहा है।
घटना शुक्रवार शाम को कोक ओवन थाना क्षेत्र के गमोन ब्रिज के पास हुई, जब एक पिकअप वैन में मवेशी ले जा रहे मुस्लिम युवकों को कथित तौर पर कुछ लोगों ने रोका और उन पर गोरक्षा के नाम पर हमला बोल दिया। आरोपियों ने खुद को ‘गौरक्षक’ बताते हुए न केवल वाहन को घेरा, बल्कि उसमें सवार युवकों को लात-घूंसों और डंडों से बुरी तरह पीटा। वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि हमलावर गालियाँ देते हुए पीड़ितों को धमका रहे हैं और उनके धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कर रहे हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से एक सोची-समझी हिंसा की घटना प्रतीत होती है, जो न केवल धार्मिक आधार पर विभाजनकारी है, बल्कि कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती भी है। आरोपी परिजात गांगुली, जो भाजपा के एक स्थानीय युवा मोर्चा से जुड़ा बताया जा रहा है, को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि उसके खिलाफ पहले से भी कुछ मामूली सांप्रदायिक उकसावे के मामले दर्ज थे।
पुलिस आयुक्तालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमने अब तक दो लोगों को गिरफ्तार किया है। जांच जारी है, और वीडियो फुटेज की मदद से अन्य आरोपियों की पहचान की जा रही है। यह स्पष्ट है कि पीड़ित किसी प्रकार की तस्करी में शामिल नहीं थे, बल्कि कृषि संबंधी कार्य के लिए मवेशी ले जा रहे थे, जिसके दस्तावेज भी उनके पास थे।”
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब राज्य में पहले से ही चुनावी गतिविधियों के चलते राजनीतिक और सामाजिक संवेदनशीलता बढ़ी हुई है। तृणमूल कांग्रेस ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि “यह भाजपा की नफरत फैलाने की राजनीति का परिणाम है। गोरक्षा के नाम पर अल्पसंख्यकों को डराने की कोशिशें बंगाल में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।”
दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी इस मामले में कोई समर्थन नहीं करती और यदि कोई व्यक्ति कानून को अपने हाथ में लेता है, तो उसे सजा मिलनी ही चाहिए। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि “गौ-तस्करी के खिलाफ समाज को जागरूक करना जरूरी है।”
घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए दुर्गापुर क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की भड़काऊ पोस्ट को रोकने के लिए साइबर सेल को सतर्क कर दिया गया है।
मानवाधिकार संगठनों और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने इस घटना को “गंभीर सांप्रदायिक हमला” बताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अल्पसंख्यक आयोग से स्वत: संज्ञान लेकर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इस मामले ने देशभर में गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसात्मक घटनाओं की एक बार फिर से याद ताज़ा कर दी है।
अब यह देखना अहम होगा कि राज्य प्रशासन इस मामले को किस स्तर तक लेकर जाता है, और क्या यह केवल गिरफ्तारी तक सीमित रह जाएगा या आरोपियों को कठोर सज़ा दिलाई जाएगी। यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या ‘गोरक्षा’ की आड़ में कुछ तत्व संविधान की धज्जियाँ उड़ाने की खुली छूट पा चुके हैं?