नई दिल्ली 20 अगस्त 2025
कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए तीन विधेयकों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने इसे लोकतंत्र की हत्या और भारत को मध्यकालीन तानाशाही की ओर ले जाने वाला कदम बताया। इन विधेयकों के अनुसार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री अगर किसी गंभीर आरोप में 30 दिन तक न्यायिक हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें अपने पद से तुरंत हटाया जा सकेगा। राहुल गांधी ने कहा, “हम उस दौर में लौट रहे हैं जब राजा अपनी मर्जी से किसी को भी पद से हटा सकता था। यह लोकतंत्र के खिलाफ और विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने वाली सबसे खतरनाक चाल है।”
कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने भी विधेयकों की आलोचना करते हुए कहा कि यह संविधान के मूल सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने चेताया कि बिना निष्पक्ष सुनवाई के नेताओं को उनके पद से हटाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला है और यह राजनीतिक प्रतिशोध के लिए खुला आमंत्रण है। विपक्ष का आरोप है कि इन विधेयकों का उद्देश्य केवल सत्ता का दुरुपयोग करना और राजनीतिक विरोधियों को खत्म करना है।
लोकसभा में विधेयक पेश होने के तुरंत बाद विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया और विधेयकों की प्रतियां फाड़ दीं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे “लोकतंत्र और संघवाद की मौत की घंटी” करार दिया। विपक्ष के नेता इसे “सुपर-आपातकाल” की दिशा में एक खतरनाक कदम मान रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह कानून पारित हुआ तो सत्ता संतुलन पूरी तरह बदल सकता है और विपक्ष के लिए राजनीतिक खेलना कठिन हो जाएगा।
इस विधेयक को अब संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा गया है, लेकिन विपक्ष और आम जनता में इसके विरोध की आंच लगातार बढ़ रही है। राहुल गांधी और विपक्षी दलों का जोरदार संदेश है कि यह विधेयक लोकतंत्र के खिलाफ सीधा हमला है और इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह संसद और जनता के बीच सीधे टकराव को जन्म दे सकता है और भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक विवादास्पद अध्याय के रूप में दर्ज होगा।