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मुंबई की प्यास और अरब सागर का जवाब: माणोरी विलवणीकरण परियोजना की लागत में भारी वृद्धि, क्या आम जनता पर पड़ेगा असर?

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मुंबई महानगर, जो देश की आर्थिक राजधानी होने के साथ-साथ एक तेजी से बढ़ती आबादी वाला शहर भी है, अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा हैपेयजल आपूर्ति को सुरक्षित करना। इसी उद्देश्य से माणोरी में प्रस्तावित समुद्री जल विलवणीकरण परियोजना (Desalination Plant) पर वर्षों से विचार-विमर्श चल रहा था। हालाँकि अब, इस महत्वाकांक्षी परियोजना की लागत ₹3,520 करोड़ से बढ़कर ₹4,712 करोड़ तक पहुंच गई है, जिसने ना केवल नीति-निर्माताओं बल्कि आम जनता की भी चिंता बढ़ा दी है। 

यह परियोजना मुंबई में प्रतिदिन लगभग 200 मिलियन लीटर पीने योग्य पानी उत्पन्न करने के लक्ष्य के साथ बनाई जा रही है। चूंकि मानसून की अनिश्चितता और वर्तमान जल स्रोतों की सीमित क्षमता मुंबई की जल जरूरतों को पूरा करने में अपर्याप्त साबित हो रही है, इसलिए विलवणीकरण को एक स्थायी समाधान के रूप में देखा जा रहा है। मगर अब यह लागत वृद्धि कई अहम सवालों को जन्म देती हैक्या यह आर्थिक रूप से न्यायसंगत है? क्या इसका बोझ मुंबईकरों की जेब पर डाला जाएगा? 

बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) और संबंधित एजेंसियाँ लागत वृद्धि के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर लागत, तकनीकी बदलाव, वैश्विक महंगाई, निर्माण में देरी और मुद्रा विनिमय दरों को ज़िम्मेदार ठहरा रही हैं। साथ ही, एनवायरनमेंटल क्लियरेंस, तटीय नियमन क्षेत्र (CRZ) नियमों और समुद्री पारिस्थितिकी पर प्रभावों के कारण भी परियोजना के डिजाइन में बदलाव किए गए हैं, जिसने लागत को और बढ़ा दिया। 

एक ओर, मुंबईकरों को इस परियोजना से भविष्य में जल संकट से राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन दूसरी ओर, विशेषज्ञों का कहना है कि यह लागत वृद्धि अंततः पानी के बिलों में बढ़ोतरी के रूप में आम जनता पर प्रभाव डाल सकती है। खासकर निम्न और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए यह दीर्घकालिक आर्थिक चुनौती बन सकती है, क्योंकि यह परियोजना निर्माण, रखरखाव और ऊर्जा लागत में अत्यधिक महंगी मानी जाती है। 

इसके साथ ही, यह परियोजना देशभर में जल प्रबंधन पर चल रही नई बहस को भी जन्म देती हैक्या हमें समुद्र से पानी लेने की तकनीक में निवेश करना चाहिए या वर्षा जल संचयन, पुनर्चक्रण और पाइपलाइन लीकेज कम करने जैसे स्थानीय समाधानों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए? नीति-निर्माताओं और पर्यावरणविदों में इस विषय पर अलग-अलग मत हैं। 

माणोरी में बन रही यह विलवणीकरण परियोजना एक आवश्यक लेकिन महंगी सौगात है। इसका पूरा होना निस्संदेह मुंबई के जल भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में मील का पत्थर हो सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि इसकी लागत नागरिकों के जीवन स्तर पर नकारात्मक असर न डाले। जवाबदेही, पारदर्शिता और वैकल्पिक जल समाधानों पर भी उतना ही ज़ोर दिया जाना चाहिए, जितना इस तकनीकी चमत्कार पर दिया जा रहा है। 

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