नई दिल्ली
18 जुलाई 2025
स्वेदा में तबाही का मंजर: आधी रात को बरसी मौत
सीरिया के दक्षिणी प्रांत स्वेदा में इजरायल की ओर से किए गए भीषण हवाई हमले ने पूरे इलाके को शोक, मातम और मलबे में बदल दिया। आधी रात के करीब जब लोग नींद में थे, तब अचानक बम धमाकों की गूंज से धरती कांप उठी। स्थानीय समय के अनुसार रात 2 बजे के करीब दर्जनों मिसाइलें दागी गईं, जो रिहायशी इलाकों, स्कूलों और एक स्थानीय अस्पताल पर आकर गिरीं। सीरियाई अधिकारियों और मानवाधिकार समूहों के अनुसार, अब तक करीब 600 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। दमकल और राहत टीमें मलबे में दबे लोगों को खोजने में लगी हैं, लेकिन हर ओर सिर्फ चीखें और खामोश लाशें नजर आ रही हैं।
इजरायल का दावा और सच्चाई के सवाल
इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा है कि यह कार्रवाई उन्होंने ईरान समर्थित आतंकी ठिकानों को खत्म करने के लिए की थी। IDF का कहना है कि उन्हें स्वेदा क्षेत्र में हिजबुल्ला जैसे संगठनों की गतिविधियों की पुख्ता जानकारी मिली थी। हालांकि, स्थानीय प्रशासन और वैश्विक पत्रकारों का कहना है कि हमले में किसी भी सैन्य ढांचे के अवशेष नहीं मिले हैं। मारे गए लोगों में अधिकतर ड्रूज़ समुदाय के नागरिक, महिलाएं और बच्चे थे। सवाल यह उठता है कि क्या यह हमला वाकई आतंक के खिलाफ था, या फिर एक सोची-समझी रणनीतिक दहशतगर्दी?
मानवाधिकार संगठनों और यूएन की तीखी प्रतिक्रिया
इस हमले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाराजगी की लहर फैला दी है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इस घटना की घोर निंदा करते हुए कहा है कि नागरिकों को निशाना बनाना मानवता के खिलाफ अपराध है। उन्होंने इस हमले की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र की आपात बैठक बुलाने का आह्वान किया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल, रेड क्रॉस और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे वैश्विक मानवाधिकार संगठन इसे एक “युद्ध अपराध” मान रहे हैं और इजरायल से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के उल्लंघन का जवाब मांग रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस हमले पर बहस शुरू हो गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई की घोषणा नहीं हुई है।
मध्य पूर्व में नई जंग की आहट
स्वेदा में हुआ यह हमला केवल एक सीमित सैन्य कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह पूरे मध्य पूर्व को जंग के नए मुहाने पर ले जा सकता है। पहले से ही गाजा, लेबनान और सीरिया में इजरायली सैन्य हस्तक्षेप चल रहा है। इस हमले के बाद ईरान समर्थित संगठनों ने इजरायल के खिलाफ बदले की चेतावनी दी है। वहीं, रूस और तुर्की ने भी इजरायल की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। विश्लेषकों का मानना है कि इस घटनाक्रम ने पूरे पश्चिम एशिया को बारूद के ढेर पर लाकर खड़ा कर दिया है, और अगर समय रहते कूटनीतिक प्रयास नहीं हुए, तो स्थिति पूरी तरह बेकाबू हो सकती है।
स्वेदा की राख से उठते सवाल
जब निर्दोष नागरिक—जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग और मासूम बच्चे शामिल हैं—हवाई हमलों का शिकार होते हैं, तो यह सिर्फ युद्ध नहीं होता, यह मानवता की हार होती है। स्वेदा की सड़कों पर बिखरी लाशें आज दुनिया से एक ही सवाल पूछ रही हैं—क्या कूटनीति इतनी कमजोर हो गई है कि मिसाइलें न्याय और संवाद का विकल्प बन गई हैं?
इजरायल को अपने सैन्य रवैये पर पुनर्विचार करना होगा, और वैश्विक ताकतों को भी यह तय करना होगा कि क्या वे केवल बयान देंगे या वास्तविक न्याय के लिए निर्णायक कदम उठाएंगे। दुनिया की चुप्पी इस नरसंहार में बराबर की हिस्सेदार बन सकती है। स्वेदा अब केवल एक शहर नहीं रहा, वह बन गया है युद्ध और अन्याय की कीमत चुकाती इंसानियत की तस्वीर।