राजस्थान की तपती रेत, सुनहरी हवाओं और मरुस्थली रंगों के बीच एक ऐसा स्थान है जो मानो प्रकृति की सौम्यता का छिपा हुआ खजाना है — माउंट आबू। यह अरावली पर्वतमाला की ऊँचाइयों में बसा राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन, न केवल पर्यटकों के लिए राहत का ठिकाना है, बल्कि संस्कृति, अध्यात्म और रोमांच का संगम भी है। लगभग 1,220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित माउंट आबू, गर्मियों में रेगिस्तानी तपिश से बचने के लिए राजाओं-महाराजाओं का शीतकालीन आश्रय हुआ करता था। लेकिन आज यह आम और खास, दोनों ही सैलानियों के लिए एक ऐसी जगह बन गया है जहाँ हर मोड़ पर कुछ नया देखने और महसूस करने को मिलता है।
माउंट आबू की सबसे प्रसिद्ध पहचान है — नक्की झील। यह झील माउंट आबू का दिल है, जिसकी सतह पर सूरज की किरणें जब पड़ती हैं, तो पानी सोने की तरह चमकने लगता है। लोककथाओं के अनुसार यह झील देवताओं ने अपने नाखूनों (नक्क) से खोदी थी — तभी इसका नाम पड़ा ‘नक्की’। यहाँ नौकायन करते समय जब सामने गुरु शिखर की ऊँचाई से टकराकर आती ठंडी हवा चेहरे से गुजरती है, तब मन में जो शांति उतरती है, वह शहरी जीवन की भागदौड़ में कहीं खो चुकी होती है। शाम को झील के किनारे बैठकर सूर्यास्त देखना ऐसा अनुभव है जो केवल आँखों में नहीं, दिल में बस जाता है।
धार्मिक दृष्टि से माउंट आबू का सबसे प्रमुख स्थल है — दिलवाड़ा जैन मंदिर। संगमरमर से बने इन मंदिरों की बारीक नक्काशी, स्थापत्य की अद्वितीयता और आध्यात्मिक ऊर्जा अद्भुत है। इन मंदिरों को देखकर ऐसा लगता है मानो पत्थर में प्रार्थना बसी हो। यहाँ आने वाला हर यात्री श्रद्धा और कला दोनों के आगे नतमस्तक हो जाता है। ये मंदिर वास्तुकला प्रेमियों, इतिहासकारों और पर्यटकों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं — खासकर तब, जब आप ये सोचते हैं कि ये निर्माण 11वीं से 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था।
माउंट आबू में केवल तीर्थ या प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं, बल्कि मनोरंजन और सिनेमा का रंग भी है। राजश्री प्रोडक्शन की सुपरहिट फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ (1999) की शूटिंग माउंट आबू और उसके आसपास की खूबसूरत लोकेशनों पर हुई थी। फिल्म के कई पारिवारिक दृश्य और फेमस गाना “मय्या यशोदा” — इन हरे-भरे पर्वतों की गोद में फिल्माए गए थे। इसके बाद से माउंट आबू देश के फैमिली टूरिज्म मैप पर और भी अधिक चमकने लगा। सिनेप्रेमियों के लिए यह बहुत आकर्षण का केंद्र है कि वे उन रास्तों और झीलों पर चलें जहाँ उनके प्रिय सितारे चले थे।
घूमने के लिए यहाँ गुरु शिखर है, जो अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी है। यहाँ पहुँचते ही ऐसा महसूस होता है कि आप आसमान से बातें कर रहे हैं। वहीं हनीमून पॉइंट, टोड़ रॉक, और सनसेट पॉइंट जैसे स्थल माउंट आबू को रोमांटिक पर्यटन का आदर्श स्थल बना देते हैं। यहाँ की जलवायु साल भर सुहावनी रहती है, और यही वजह है कि यह स्थान नवविवाहित जोड़ों से लेकर बुजुर्ग तीर्थयात्रियों तक के लिए समान रूप से आकर्षक है।
माउंट आबू की गलियों में घूमते हुए जब आप स्थानीय हस्तशिल्प देखते हैं, या गर्म मूँगफली और राजस्थानी चाय के साथ किसी स्टॉल पर बैठते हैं, तो महसूस होता है कि यह शहर कितना सजग, सरल और स्वागतप्रिय है। यहाँ के लोग पर्यटकों को सिर्फ ‘ग्राहक’ नहीं, बल्कि ‘मेहमान’ मानते हैं — और यही इसे खास बनाता है। पर्वतीय संस्कृति और राजस्थानी आत्मीयता का यह अद्भुत मिलन, माउंट आबू को भारत के सबसे उपयोगी और संतुलित पर्यटन स्थलों में स्थान देता है।
आज जब पर्यटक केवल “घूमना” नहीं, बल्कि “अनुभव करना” चाहते हैं — तब माउंट आबू जैसा स्थल उनके लिए बिल्कुल उपयुक्त है। यहाँ सिर्फ दृश्य नहीं, संवेदनाएँ भी मिलती हैं। यहाँ की नर्म हवाएँ, छायादार पहाड़ियाँ, ऐतिहासिक मंदिर, फिल्मी लोकेशन, और लोककथाओं से जुड़ा हर पत्थर — सभी मिलकर एक यात्रा को यादगार कहानी में बदल देते हैं।
तो अगली बार अगर आप राजस्थान जाएँ, तो सिर्फ रेगिस्तान ही नहीं, एक ठंडा स्वर्ग भी देखिए — माउंट आबू, जो हर मन के ताप को ठंडक देता है।
यह केवल एक गंतव्य नहीं, एक अनुभव है — जिसे आँखें देखती हैं, दिल समझता है और आत्मा सँजो लेती है।