नई दिल्ली, 13 अगस्त 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका की यात्रा पर जा सकते हैं, जहां वे न्यूयॉर्क में होने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भाग लेंगे और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। यह यात्रा ऐसे समय में प्रस्तावित है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव अपने चरम पर है। अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में भारत के सामान्य आयात पर 25 प्रतिशत और रूसी तेल आयात पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाकर कुल 50 प्रतिशत का शुल्क लागू कर दिया है। भारत ने इस कदम को अनुचित और व्यापारिक संबंधों के लिए नुकसानदायक बताया है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ महीनों से द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत चल रही है, लेकिन यह अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। ऐसे में मोदी और ट्रम्प की यह मुलाकात उस समझौते को आगे बढ़ाने और टैरिफ विवाद को सुलझाने का एक अहम अवसर मानी जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का यह सत्र 9 सितंबर से शुरू होगा और उच्चस्तरीय बहस 23 से 29 सितंबर तक चलेगी। प्रारंभिक वक्ताओं की सूची में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम 26 सितंबर की सुबह के सत्र के लिए दर्ज है। मोदी के इस संबोधन में वैश्विक सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, बहुपक्षीय सहयोग, और विशेष रूप से विकासशील देशों के हितों पर जोर दिए जाने की संभावना है। रूस-यूक्रेन युद्ध, वैश्विक ऊर्जा संकट और दक्षिण एशिया में बदलते भू-राजनीतिक समीकरण भी उनके भाषण का हिस्सा हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र मंच का उपयोग करते हुए मोदी दुनिया के सामने भारत की ‘वैश्विक दक्षिण’ में नेतृत्वकारी भूमिका को और मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं।
ट्रम्प के साथ संभावित मुलाकात इस यात्रा का सबसे अहम हिस्सा होगी। दोनों नेताओं के बीच आखिरी औपचारिक बैठक फरवरी 2025 में हुई थी, जिसमें व्यापार को लेकर प्रारंभिक सहमति के संकेत मिले थे। लेकिन इसके बाद टैरिफ विवाद ने रिश्तों में खटास ला दी। ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि टैरिफ बढ़ाना अमेरिकी उद्योगों और किसानों के हित में है, जबकि भारत का मानना है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के विपरीत है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में ऊर्जा व्यापार, रक्षा सहयोग, और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे मुद्दे भी चर्चा के एजेंडे में रहेंगे।
इस यात्रा की राजनीतिक अहमियत भी कम नहीं है। भारत में अगले वर्ष होने वाले आम चुनावों से पहले मोदी इस मंच का इस्तेमाल अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि को और मजबूत करने के लिए कर सकते हैं। दूसरी ओर, ट्रम्प भी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले वैश्विक मंच पर अपनी विदेश नीति को ‘मजबूत नेतृत्व’ के रूप में पेश करना चाहेंगे। विश्लेषकों का मानना है कि यदि इस मुलाकात में टैरिफ विवाद पर कोई ठोस प्रगति होती है, तो यह दोनों नेताओं के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि होगी।
अभी तक प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस यात्रा की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन विदेश मंत्रालय और संबंधित एजेंसियों में तैयारियां जोरों पर हैं। यदि यह दौरा तय होता है, तो यह न केवल भारत-अमेरिका संबंधों के लिए, बल्कि वैश्विक व्यापार और कूटनीतिक समीकरणों के लिहाज से भी एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। आने वाले हफ्तों में इस पर आधिकारिक घोषणा होने की संभावना है, और दुनिया की निगाहें इस संभावित यात्रा पर टिकी रहेंगी।