नई दिल्ली 28 अगस्त 2025
पीएम मोदी के फैसले पर तीखा आरोप
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका से आयात होने वाली कपास को शुल्क मुक्त करने के फैसले को किसानों के साथ सबसे बड़ा धोखा बताया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय सीधे तौर पर भारतीय कपास किसानों की मेहनत और आमदनी को खतरे में डालता है। केजरीवाल ने इसे “किसानों की पीठ में छुरा घोंपना” करार दिया और सवाल उठाया कि क्या केंद्र सरकार किसानों की हितैषी नीति के लिए गंभीर है या केवल व्यापार और अंतरराष्ट्रीय दबावों के आगे झुक रही है।
किसानों पर पड़े गंभीर प्रभाव
केजरीवाल का कहना है कि अमेरिका से आने वाली कपास पर शुल्क हटाने से देश के स्थानीय किसानों की प्रतिस्पर्धा को बड़ा झटका लगेगा। इससे बाजार में विदेशी कपास का सस्ता विकल्प आ जाएगा, जिससे भारतीय किसानों के लिए अपने उत्पाद की उचित कीमत पाना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार ऐसे फैसले जारी रखती है तो इसके सीधे नकारात्मक प्रभाव से ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कपास से जुड़े लाखों किसानों का जीवन प्रभावित होगा।
राजनीतिक हमला और सरकार पर दबाव
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह केवल आर्थिक सवाल नहीं है, बल्कि यह किसानों के साथ विश्वासघात और राजनीतिक धोखे का मामला है। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि Modi जी ने किसानों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को नजरअंदाज किया है और यह किसानों के हक में सबसे बड़ा अपमान है। AAP नेता ने इस फैसले पर तत्काल पुनर्विचार की मांग की और कहा कि किसानों को सशक्त बनाने के लिए सरकार को घरेलू उत्पादन और किसानों की आय को प्राथमिकता देनी चाहिए।
भविष्य की रणनीति और जनता की चेतावनी
केजरीवाल ने यह भी चेताया कि अगर केंद्र सरकार ऐसे निर्णय लेती रही तो आम आदमी पार्टी और किसान संगठन इससे लड़ने के लिए हर स्तर पर आवाज उठाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान केवल चुनावी वादों और घोषणाओं के लिए भरोसा नहीं करते; उन्हें कामयाब नीतियों और सुरक्षित बाजार की जरूरत है। केजरीवाल का संदेश साफ था कि किसानों के हित में निर्णय लेना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है, और उसके बिना कोई भी राजनीतिक दावा अधूरा है।
अरविंद केजरीवाल के तेवर इस बार बहुत स्पष्ट हैं: अमेरिका से आयात होने वाली कपास पर शुल्क मुक्त करने का निर्णय केवल किसानों के लिए आर्थिक संकट पैदा करेगा और सरकार के भरोसे को कमजोर करेगा। यह मामला अब सिर्फ नीति का नहीं बल्कि किसानों और सरकार के बीच विश्वास का भी प्रश्न बन गया है।