प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को चीन के तियानजिन पहुंचे, जहां वे 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भारत का नेतृत्व करेंगे। यह दौरा खासा महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ा है और अब वैश्विक कूटनीति में भारत-चीन समीकरण पर निगाहें टिक गई हैं।
जापान से सीधे चीन पहुंचे पीएम मोदी
चीन रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जापान की दो दिवसीय यात्रा पूरी की। वहां भारत-जापान के बीच 13 अहम समझौते और घोषणाएं हुईं, जिनमें सेमीकंडक्टर निर्माण, लो-कार्बन तकनीक, स्टार्टअप्स और इंफ्रास्ट्रक्चर सहयोग शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी गवर्नरों और भारतीय राज्यों के बीच प्रत्यक्ष सहयोग की नई पहल शुरू करने पर भी जोर दिया।
जिनपिंग से होगी मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी का यह चीन दौरा सात साल बाद हो रहा है। 31 अगस्त को उनकी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात प्रस्तावित है। दोनों नेताओं के बीच बातचीत के एजेंडे में भारत-चीन व्यापार घाटा, सीमा मुद्दे और क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़े विषय प्रमुख रहेंगे। विश्लेषकों का मानना है कि इस मुलाकात से एशिया की राजनीतिक और आर्थिक ध्रुवीकरण पर गहरा असर पड़ सकता है।
SCO शिखर सम्मेलन का महत्व
SCO का यह वार्षिक शिखर सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिर है और अमेरिका-भारत रिश्तों में खटास आई है। चीन इस मौके को अपनी कूटनीतिक बढ़त के तौर पर भुनाना चाहता है, वहीं भारत अपने बहुपक्षीय संबंधों और आर्थिक साझेदारियों को और मजबूत करने की कोशिश करेगा। सम्मेलन में 20 से अधिक देशों के शीर्ष नेता शामिल हो रहे हैं।
भारतीय प्रवासी भी कर रहे स्वागत
तियानजिन में भारतीय प्रवासी समुदाय प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत की तैयारियों में जुटा हुआ है। मोदी के आगमन को लेकर वहां भारी उत्साह है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी की यह यात्रा न सिर्फ़ SCO सदस्य देशों के बीच भारत की भूमिका को और स्पष्ट करेगी, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी मजबूती प्रदान करेगी।