केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को गृह मंत्रालय की संसदीय परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए आपदा प्रबंधन और क्षमता निर्माण पर सरकार की उपलब्धियां और नई रणनीति का खाका रखा। शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 के बाद आपदा प्रबंधन की सोच बदल दी—जहाँ पहले केवल राहत पर जोर था, अब रिस्क्यू और प्रिवेंशन पर पूरा फोकस है।
उन्होंने बताया कि सरकार की आपदा नीति चार स्तंभों—क्षमता निर्माण, गति, दक्षता और सटीकता—पर टिकी है। इसी कारण ओडिशा सुपर साइक्लोन 1999 (10,000 मौतें) से लेकर हाल की आपदाओं बिपारजॉय 2023 और दाना 2024 तक शून्य जनहानि सुनिश्चित की जा सकी।
बजट का तिहरा इजाफा
2004 से 2014 के बीच SDRF और NDRF को 66 हज़ार करोड़ मिले थे, जिसे मोदी सरकार ने बढ़ाकर 2014 से 2024 के बीच 2 लाख करोड़ रुपये कर दिया। इसके अलावा:
- SDRF: ₹1,28,122 करोड़ (2021-22 से 2025-26 तक)
- NDRF: ₹54,770 करोड़
- राष्ट्रीय आपदा शमन कोष (NDMF): ₹13,693 करोड़
- राज्य आपदा शमन कोष (SDMF): ₹32,031 करोड़
क्लाउडबर्स्ट-लैंडस्लाइड पर नई रणनीति
हाल के बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं को देखते हुए शाह ने कहा कि विशेष रणनीति बनाई जा रही है। साथ ही ‘सचेत ऐप’ को अधिकाधिक प्रचारित करने पर जोर दिया गया ताकि आमजन तक समय रहते चेतावनी पहुँच सके।
आंकड़ों में बदलाव
- आपदा प्रभावित राज्यों में केंद्रीय टीम भेजने का औसत समय 96 दिन से घटाकर सिर्फ 8 दिन।
- अब बाढ़ और चक्रवात की सटीक भविष्यवाणी 7 दिन पहले उपलब्ध।
- ‘ आपदा मित्र योजना’ और ‘युवा आपदा मित्र योजना’ के तहत 1 लाख प्रशिक्षित स्वयंसेवक 350 जिलों में तैयार।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के 10 सूत्रीय एजेंडे के तहत आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक 2024 लाया गया, जिसने इस क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता को नई ऊंचाई दी है।
समिति के सदस्यों ने मोदी सरकार की नीतियों की सराहना की और कहा कि भारत अब आपदा प्रबंधन में ग्लोबल रोल मॉडल बन चुका है।
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