यरुशलम/वॉशिंगटन/काहिरा | अंतरराष्ट्रीय डेस्क
13 अक्टूबर 2025
मध्य पूर्व में महीनों से जारी गाज़ा युद्ध अब एक अहम मोड़ पर पहुँचता दिखाई दे रहा है। लगातार बढ़ती मानवीय तबाही और कूटनीतिक दबाव के बीच अब संकेत मिले हैं कि हमास जल्द ही कई बंधकों को रिहा कर सकता है, जबकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आने वाले सप्ताह में मध्य पूर्व शांति मिशन पर रवाना होंगे। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब मिस्र के शर्म-अल-शेख में चल रहे गाज़ा शांति सम्मेलन 2025 में दुनिया के शीर्ष नेता क्षेत्र में स्थायी शांति के रास्ते तलाशने की कोशिश में जुटे हैं।
इज़राइल की खुफिया एजेंसियों ने पुष्टि की है कि बंधकों की रिहाई को लेकर हमास और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थों के बीच बातचीत अंतिम चरण में है। इस प्रक्रिया में मिस्र और क़तर की भूमिका निर्णायक रही है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने भी अपनी निगरानी व्यवस्था सक्रिय कर दी है। सूत्रों का कहना है कि यह रिहाई सोमवार सुबह तक संभव है और पहले चरण में लगभग 50 बंधकों को छोड़ा जा सकता है, जिनमें महिलाएं, बुज़ुर्ग और कुछ विदेशी नागरिक शामिल हैं। यह एक “सीमित मानवीय समझौता” होगा, जिसके तहत हमास को गाज़ा में मानवीय राहत सामग्री पहुँचाने की अनुमति दी जाएगी।
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने देर रात अपनी कैबिनेट बैठक में इस विषय पर कहा, “हम इस प्रक्रिया को सतर्कता और जिम्मेदारी से आगे बढ़ा रहे हैं। हमारे नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है। हम हर वह कदम उठाएंगे जो बंधकों को सकुशल वापस लाने में मददगार साबित हो।”
हालांकि नेतन्याहू ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या यह समझौता एक अस्थायी युद्धविराम (Ceasefire) का हिस्सा है। इज़राइल की सेना अब भी गाज़ा के कई इलाकों में सघन अभियान चला रही है, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस अभियान को रोकने और मानवीय गलियारे खोलने की मांग कर रहा है।
इसी बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी मध्य पूर्व में “मानवता-आधारित शांति यात्रा” की घोषणा की है। ट्रंप अगले कुछ दिनों में मिस्र, इज़राइल और सऊदी अरब का दौरा करेंगे। उनका उद्देश्य न केवल संघर्षविराम की दिशा में बातचीत को आगे बढ़ाना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि गाज़ा में फंसे नागरिकों तक राहत सामग्री पहुँच सके। ट्रंप ने वॉशिंगटन में संवाददाताओं से कहा, “गाज़ा के निर्दोष लोगों को बचाना अब वैश्विक जिम्मेदारी है। इज़राइल की सुरक्षा और फिलिस्तीन की मानवता दोनों को साथ लेकर ही स्थायी समाधान संभव है।”
यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब गाज़ा शांति सम्मेलन में भारत, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, जॉर्डन और संयुक्त राष्ट्र जैसे देशों के प्रतिनिधि पहले से मौजूद हैं। इस सम्मेलन का उद्देश्य गाज़ा में जारी हिंसा को समाप्त कर एक दीर्घकालिक राजनीतिक और मानवीय रोडमैप तैयार करना है। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी और ट्रंप इस सम्मेलन के प्रमुख आयोजक हैं, और दोनों ने भारत सहित कई देशों को विशेष रूप से आमंत्रित किया है।
गाज़ा की स्थिति अब भी बेहद भयावह है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 20,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जबकि लाखों नागरिक विस्थापित हो चुके हैं। अस्पतालों में दवाइयाँ खत्म हैं, बिजली और पानी की आपूर्ति ठप है, और कई शहर मलबे में तब्दील हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, “गाज़ा अब मानवता की कसौटी बन चुका है। यह केवल युद्ध नहीं, बल्कि एक मानवीय संकट है — जिसे समाप्त करना पूरी दुनिया की सामूहिक जिम्मेदारी है।”
भारत ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर करीबी निगरानी बनाए रखी है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिस्र और इज़राइल दोनों की ओर से जानकारी दी गई है। भारत पहले ही गाज़ा में फंसे नागरिकों के लिए दवाइयाँ, राहत सामग्री और खाद्य पैकेट भेज चुका है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह वर्तमान में शर्म-अल-शेख सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “भारत मानता है कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं। हमें एकजुट होकर ऐसा ढांचा बनाना होगा जो शांति, स्थिरता और मानवता की रक्षा सुनिश्चित करे।”
इस बीच, कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सोमवार को वास्तव में बंधकों की रिहाई होती है, तो यह गाज़ा संघर्ष में शांति प्रक्रिया की पहली ठोस उपलब्धि होगी। इससे यह उम्मीद भी बढ़ेगी कि आने वाले हफ्तों में एक स्थायी युद्धविराम समझौता संभव हो सकेगा।
गाज़ा शांति सम्मेलन में अब जो माहौल बन रहा है, वह केवल एक बैठक का नहीं, बल्कि विश्व राजनीति में “संवाद की वापसी” का संकेत है। लंबे समय से युद्ध, अविश्वास और नफरत से जूझ रहे मध्य पूर्व को अब संवेदना, सहयोग और साहसिक निर्णयों की आवश्यकता है।
यदि बंधकों की रिहाई का यह पहला कदम सफल रहता है, तो यह न केवल गाज़ा के नागरिकों के लिए राहत की सांस होगा, बल्कि यह भी साबित करेगा कि दुनिया अब संघर्ष से थक चुकी है — और उसे शांति की राजनीति की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक महसूस हो रही है।