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मेंटल हेल्थ अब टैबू नहीं, ट्रेंड है: शहरों में बढ़ी काउंसलिंग, थेरेपी और माइंडफुलनेस की मांग

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जयपुर, राजस्थान 

3 अगस्त 2025

एक ज़माना था जब मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) को लेकर बात करना शर्म या कमजोरी मानी जाती थी। लेकिन अब 2025 में, मेंटल वेलनेस को लेकर समाज में सोच तेज़ी से बदल रही है — खासकर शहरी भारत में।

जयपुर, पुणे, चंडीगढ़, कोच्चि जैसे शहरों में अब बड़ी संख्या में युवा और प्रोफेशनल्स थेरेपी, काउंसलिंग और माइंडफुलनेस कोचिंग को अपना रहे हैं। कॉर्पोरेट दफ्तरों में भी “मेंटल हेल्थ डे” और “इन-हाउस साइकोलॉजिस्ट” जैसे कदम अब आम बात होती जा रही है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, महज 3 वर्षों में ऑनलाइन थेरेपी प्लेटफॉर्म्स जैसे YourDost, BetterLYF, और MindPeers पर यूज़र्स की संख्या में 200% की वृद्धि दर्ज हुई है। इनमें ज़्यादातर 18 से 35 वर्ष के युवा शामिल हैं।

अब लोग अपनी बातों को खुलकर साझा करना चाहते हैं — चाहे वह तनाव, अकेलापन, ब्रेकअप, करियर प्रेशर या फैमिली स्ट्रगल ही क्यों न हो। सोशल मीडिया पर #MentalHealthAwareness और #TherapyIsCool जैसे हैशटैग के ज़रिए लोग अपना अनुभव भी साझा कर रहे हैं।

इस बीच, योग और मेडिटेशन, विशेषकर Vipassana और Mindfulness Meditation, भी मानसिक संतुलन के लिए प्रमुख साधन बनकर उभरे हैं। कई लोग सप्ताह में एक दिन “Digital Detox” रख रहे हैं — जिसमें मोबाइल, ईमेल और सोशल मीडिया से दूरी बनाकर सिर्फ मन और शरीर पर ध्यान दिया जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव सतही नहीं, बल्कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य क्रांति का संकेत है। धीरे-धीरे स्कूल, कॉलेज और ग्रामीण स्तर पर भी यह जागरूकता फैल रही है, जो भविष्य में एक अधिक संवेदनशील, संतुलित और समझदार समाज को जन्म दे सकती है।

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