कभी-कभी किसी से मिलना एक अनुभव से बढ़कर होता है, वह दिल को छू लेने वाली प्रेरणा बन जाता है। नंदिनी अग्रवाल से मुलाकात भी ऐसी ही रही — सादगी में गहराई, आत्मविश्वास में विनम्रता और आंखों में सपनों की चमक लिए यह युवती आज पूरे देश के लिए एक मिसाल बन चुकी है। मध्य प्रदेश के मुरैना की रहने वाली नंदिनी ने 19 साल की उम्र में वह कर दिखाया जो अब तक असंभव माना जाता था। उन्होंने दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बनकर इतिहास रच दिया।
मई 2024 में आयोजित भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट संस्थान (ICAI) की परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक-1 हासिल कर नंदिनी ने न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन किया। उनकी इस उपलब्धि को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने भी मान्यता दी और उन्हें ‘दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला सीए’ घोषित किया। जब उन्होंने यह मुकाम हासिल किया, तब वह सिर्फ 19 साल और 330 दिन की थीं। यह उम्र वह होती है जब ज्यादातर युवा अपने करियर की दिशा तय कर रहे होते हैं, लेकिन नंदिनी उस समय अपने जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल कर चुकी थीं।
नंदिनी की कहानी किसी प्रेरक उपन्यास से कम नहीं लगती। उनके जीवन में अनुशासन, संघर्ष, आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। उन्होंने स्कूल के दिनों में ही दो कक्षाएं छोड़ दी थीं — सीधे 8वीं से 10वीं में प्रवेश लिया। मात्र 13 साल की उम्र में उन्होंने 10वीं और 15 साल की उम्र में 12वीं की परीक्षा पास कर ली। इसके बाद उन्होंने उस रास्ते को चुना जिसे लोग देश के सबसे कठिन पेशेवर कोर्स में गिनते हैं — चार्टर्ड अकाउंटेंसी। लेकिन नंदिनी के लिए मुश्किल रास्ता ही उनकी मंज़िल की सीढ़ी बन गया।
जब उनसे पूछा गया कि इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि कैसे हासिल की, तो वह मुस्कुराते हुए बोलीं — “मैंने कभी दूसरों से तुलना नहीं की। मैंने बस अपने सपनों के प्रति ईमानदारी रखी। उम्र बस एक नंबर है, मेहनत ही असली पहचान बनाती है।” यह जवाब न केवल उनकी सोच का परिचायक है बल्कि उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा भी है जो उम्र या परिस्थिति को अपनी सीमाएं मान लेते हैं।
नंदिनी ने यह सफलता बिना किसी कोचिंग के हासिल की। उन्होंने सोशल मीडिया से दूरी बनाकर खुद को पूरी तरह अध्ययन में झोंक दिया। दिन के 10 से 12 घंटे वह केवल पढ़ाई को समर्पित करती थीं। परिणाम यह हुआ कि उन्होंने CA फाइनल परीक्षा में 800 में से 614 अंक हासिल किए — यानी 76.75 प्रतिशत। उनके बड़े भाई सचिन अग्रवाल ने भी उसी साल CA फाइनल परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 18 हासिल की। दोनों भाई-बहन की यह सफलता न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण थी।
नंदिनी ने एक दिलचस्प किस्सा भी साझा किया। उन्होंने बताया कि जब वह स्कूल में थीं, तब एक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर उनके स्कूल आए थे। उस दिन उन्होंने खुद से एक वादा किया कि एक दिन उनका नाम भी गिनीज बुक में दर्ज होगा। वह सपना आज साकार हो चुका है। उन्होंने उस प्रेरणा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और पूरे समर्पण के साथ उस दिशा में आगे बढ़ीं।
लेकिन यह सफर चुनौतियों से खाली नहीं था। नंदिनी बताती हैं कि जब वह 16 साल की थीं, तब कई कंपनियों ने उन्हें इंटर्नशिप देने से मना कर दिया। लोगों को लगता था कि इतनी छोटी उम्र में वह कॉर्पोरेट वर्क का दबाव नहीं झेल पाएंगी। मगर नंदिनी ने इन अस्वीकृतियों को अपनी ताकत में बदल दिया। उन्होंने साबित किया कि उम्र नहीं, योग्यता और प्रतिबद्धता ही किसी व्यक्ति की असली पहचान होती है।
आज नंदिनी अग्रवाल एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और उनका अगला लक्ष्य किसी Big 4 कंपनी में नौकरी करना और भविष्य में किसी बड़ी संस्था की CFO (Chief Financial Officer) बनना है। उनकी बातों में आत्मविश्वास झलकता है जब वह कहती हैं — “हर लड़की में वो ताकत है जो इतिहास बदल सकती है, बस ज़रूरत है खुद पर भरोसे की।” उनके इस विचार ने न केवल उन्हें नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, बल्कि लाखों युवाओं को यह संदेश भी दिया है कि सच्ची मेहनत और दृढ़ संकल्प से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।
नंदिनी अग्रवाल की यह मुलाकात एक संदेश बनकर रह जाती है — अगर हिम्मत हो, तो उम्र नहीं, सपने ही मंज़िल तय करते हैं। उनकी सफलता उस नए भारत की कहानी है, जहां बेटियां सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी इतिहास लिख रही हैं।




