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मंगल दोष: हकीकत या भ्रम?

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नई दिल्ली

1 मार्च 2025

जब विवाह से पहले भय सताने लगे

भारतीय विवाह प्रणाली में जहां गुण-मिलान और कुंडली का मेल मुख्य भूमिका निभाते हैं, वहीं एक शब्द अक्सर सुनने को मिलता है — मंगल दोष। यह दोष इतना कुख्यात है कि कई अच्छे रिश्ते सिर्फ इसलिए टूट जाते हैं क्योंकि किसी एक की कुंडली में मंगल दोष पाया गया।

पर सवाल यह है — क्या यह वास्तव में कोई खतरनाक ग्रह-दोष है? क्या इससे विवाहिक जीवन में तल्खी और त्रासदी तय है? या यह सिर्फ एक मिथक है, जिसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है? यह लेख मंगल दोष की गहराई, तर्क, भ्रांतियों और सामाजिक प्रभावों को विस्तार से सामने लाता है।

शक्ति, ऊर्जा और आक्रामकता का प्रतिनिधि

वैदिक ज्योतिष में मंगल (Mars) को एक बलशाली, अग्नि तत्व ग्रह माना गया है। यह साहस, पराक्रम, सैन्य शक्ति, प्रतिस्पर्धा, क्रोध, जुनून और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल यदि कुंडली में अनुकूल स्थान पर हो, तो यह व्यक्ति को नेता, योद्धा, इंजीनियर, खिलाड़ी या सैनिक बना सकता है। लेकिन यदि यह अशुभ स्थानों में हो, विशेषकर विवाह और पारिवारिक भावों में, तो इसका प्रभाव विवाह संबंधों पर पड़ सकता है — यहीं से उठता है “मंगल दोष” का विषय।

मंगल दोष क्या है, कैसे बनता है?

यदि कुंडली के 1, 2, 4, 7, 8 या 12वें भाव में मंगल स्थित हो, तो इसे मंगल दोष या मांगलिक दोष कहा जाता है।

इन भावों का सीधा संबंध व्यक्ति के स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख, वैवाहिक संबंध, और मानसिक संतुलन से होता है।

मान्यता है कि इस स्थिति में मांगलिक व्यक्ति का जीवनसाथी अस्वस्थ हो सकता है, विवाह में कलह हो सकती है, या वैवाहिक जीवन अल्पायु हो सकता है।

इसी डर के कारण ‘मांगलिक’ लड़के-लड़कियों के विवाह में विशेष सावधानी बरती जाती है।

वैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टिकोण

यहाँ यह समझना जरूरी है कि मंगल दोष का डर वैज्ञानिक या तार्किक कम और परंपरागत अधिक है।

आज के समय में हजारों मांगलिक लोग सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे हैं, और कई अमांगलिक लोग तलाक की कगार पर हैं। वास्तविकता यह है कि विवाह का सुख केवल ग्रहों पर नहीं, बल्कि पारस्परिक समझ, मूल्यों, मानसिक परिपक्वता और सामाजिक समर्थन पर निर्भर करता है। यहां तक कि ज्योतिषशास्त्र भी सभी मंगल स्थितियों को दोष नहीं मानता। कई स्थितियों में यह दोष कमजोर या नकारात्मक नहीं होता, जैसे यदि मंगल अपनी उच्च राशि में हो, या शुभ ग्रहों की दृष्टि में हो, तो इसका प्रभाव सकारात्मक हो सकता है।

समाधान और उपाय

अगर किसी की कुंडली में मंगल दोष है, तो इसका अर्थ यह नहीं कि विवाह का रास्ता बंद है। इसका सबसे सरल समाधान यही है कि दो मांगलिक लोगों का आपस में विवाह करवा दिया जाए — जिससे दोनों के दोष संतुलित हो जाते हैं। इसके अलावा कुछ विशेष पूजा-पाठ, जैसे मंगलवार को हनुमान जी की पूजा, नवरात्रि में मंगल शांति यज्ञ, या ग्रह शांति दान आदि से भी मानसिक संतुलन और ऊर्जा में सुधार देखा गया है। परंतु सबसे ज़रूरी उपाय है — सोच बदलना। कई युवा आज केवल मंगल दोष की वजह से अच्छे रिश्तों से हाथ धो बैठते हैं, जबकि परस्पर समझ और भावनात्मक मेल ही दीर्घकालिक सुख का आधार है।

बदलाव की दस्तक

आज के समय में जहां पढ़े-लिखे युवा तर्क और संवाद के आधार पर निर्णय ले रहे हैं, वहीं मंगल दोष का डर भी पहले से कम हो रहा है। कई नामी-अभिनेत्री, वैज्ञानिक, खिलाड़ी और उद्यमी मंगल दोष वाले होकर भी सफल और संतोषजनक वैवाहिक जीवन जी रहे हैं। यह बताता है कि ग्रहों से ज़्यादा हमारी सोच और संस्कार जीवन में भूमिका निभाते हैं। मंगल दोष अब एक भय नहीं, बल्कि एक ऐसी परंपरा बन चुका है जिसे समझदारी से देखा जाना चाहिए, न कि अंधविश्वास की तरह।

दोष कुंडली में या जीवन में! 

“ग्रह आपका स्वभाव तो तय कर सकते हैं, पर व्यवहार आपका अपना होता है। मांगलिक होना कोई अभिशाप नहीं — यह केवल एक ज्योतिषीय संकेत है। डर कर नहीं, समझ कर विवाह कीजिए — क्योंकि सबसे बड़ा दोष अज्ञान है।”

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