नई दिल्ली 12 अगस्त 2025
मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा है कि महात्मा गांधी की हत्या भारतीय इतिहास का वह काला अध्याय है, जिसे केवल “आतंकवाद” कहकर परिभाषित नहीं किया जा सकता। यह महज एक व्यक्ति की जान लेने का अपराध नहीं था, बल्कि एक ऐसे सपने की निर्मम हत्या थी, जिसे गांधी ने वर्षों के संघर्ष, सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों से सींचा था।
उमा भारती ने कहा कि गांधी ने भारत को आज़ादी दिलाने के लिए आंदोलन की अगुवाई की, और उनका विज़न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं था, बल्कि यह सामाजिक एकता, समानता और मानवता पर आधारित भारत का सपना था। नाथूराम गोडसे की गोली ने केवल एक इंसान को नहीं, बल्कि उस विचारधारा और आदर्शों को चोट पहुंचाई, जो करोड़ों भारतीयों के दिल में बसते थे।
महान नेता, मतभेदों के बावजूद एकजुट
गांधी, नेहरू और पटेल जैसे दिग्गज नेताओं के बीच विचारों में मतभेद होना स्वाभाविक था, क्योंकि तीनों की सोच और दृष्टिकोण अलग-अलग थे। लेकिन यह मतभेद उनकी महानता को कम नहीं कर सकते। गांधी जहां नैतिक बल और जनआंदोलन के जरिए बदलाव लाने में विश्वास रखते थे, वहीं नेहरू आधुनिकता और औद्योगिक विकास के पैरोकार थे, और पटेल संगठन, प्रशासन और एकीकरण के मास्टर थे। मतभेदों के बावजूद तीनों ने भारत की स्वतंत्रता और राष्ट्रनिर्माण में असाधारण योगदान दिया। यही भारतीय लोकतंत्र की ताकत है कि अलग-अलग विचारधाराओं वाले नेता भी एक लक्ष्य के लिए साथ आ सकते हैं।
झूठ और नफ़रत के खिलाफ सच्चाई की जीत
इस बयान के संदर्भ में उमा भारती का जिक्र भी महत्वपूर्ण है, जिन्होंने तथ्यों और सच्चाई के दम पर ‘व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी’ में फैलाई जा रही झूठ और नफ़रत की कहानियों को चुनौती दी। यह साहस और स्पष्टवादिता का उदाहरण है कि जब कोई नेता सच बोलने का जोखिम उठाता है, तो वह केवल राजनीति नहीं करता, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य करता है। इस तरह की पहलें लोकतंत्र को स्वस्थ बनाती हैं और आने वाली पीढ़ियों को सिखाती हैं कि झूठ और नफ़रत के सामने सच्चाई का डटकर मुकाबला करना ही असली देशभक्ति है।