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‘मालिक’ रिव्यू: मसालेदार लेकिन ज़ायक़ा अधूरा, राजकुमार छाए

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नई दिल्ली

16 जुलाई

रेटिंग: (3/5)

मुख्य समीक्षा:
राजकुमार राव की नई फिल्म ‘मालिक’ एक बार फिर दिखाती है कि दमदार अभिनय किसे कहते हैं। लेकिन अफसोस, मिर्च-मसाले और स्टाइल के बावजूद फिल्म की कहानी वह गहराई नहीं पकड़ पाती जो दर्शकों को पूरी तरह बांध सके।

कहानी:
‘मालिक’ एक ऐसे साधारण आदमी की कहानी है जो हालात और सिस्टम से टकराकर एक ताकतवर व्यक्ति बनता है। स्क्रिप्ट में राजनीति, भावनाएं, भ्रष्टाचार और क्राइम का मिक्स तड़का है, लेकिन सब कुछ इतना भरा-भरा है कि असली स्वाद कहीं खो जाता है। शुरुआती आधे घंटे में फिल्म मजबूत लगती है, लेकिन धीरे-धीरे प्लॉट भटकने लगता है और क्लाइमैक्स तक आते-आते थकान सी महसूस होती है।

अभिनय:
राजकुमार राव पूरी फिल्म की जान हैं। उन्होंने हर सीन को गहराई दी है। उनके चेहरे के भाव, संवाद अदायगी और बॉडी लैंग्वेज देखने लायक है। फिल्म की कमजोर स्क्रिप्ट को उन्होंने अपने अभिनय से काफी हद तक संभाल लिया है। बाकी कलाकारों का काम औसत है — न ज्यादा खराब, न बहुत दमदार।

निर्देशन और तकनीक:
निर्देशक ने फिल्म को एक पॉलिटिकल-ड्रामा के रूप में पेश करने की कोशिश की, लेकिन पटकथा और एडिटिंग में कसावट की कमी साफ महसूस होती है। सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, लेकिन बैकग्राउंड म्यूज़िक कभी-कभी कहानी से ज्यादा ड्रामा करने की कोशिश करता है।

संगीत और संवाद:
फिल्म के गाने याद नहीं रहते, लेकिन कुछ संवाद ज़रूर प्रभाव छोड़ते हैं। खासकर वे सीन जहाँ राजकुमार राव सिस्टम से भिड़ते हैं — दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर सकते हैं।

निष्कर्ष:
‘मालिक’ एक अच्छी कोशिश है, जिसे राजकुमार राव के अभिनय ने देखने लायक बना दिया है। अगर कहानी थोड़ी और चुस्त होती, तो यह फिल्म एक ज़बरदस्त राजनीतिक ड्रामा बन सकती थी। पर फिलहाल, यह बस एक औसत फिल्म है, जिसे आप एक बार राजकुमार राव के लिए देख सकते हैं।

देखें या छोड़ें?
देखें — लेकिन उम्मीदें थोड़ा कम रखकर।
राजकुमार राव के फैन हैं तो यह फिल्म आपके लिए है।

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