दिल सिर्फ एक से क्यों बंधे?
आज का ज़माना बदल रहा है, जनाब! अब वो दिन नहीं रहे जब प्यार का मतलब था – “एक ही दिल, एक ही जान, बस एक ही इंसान!” मेट्रो शहरों में रहने वाले नौजवान अब खुलकर कह रहे हैं – “मुझे एक रिश्ता नहीं, पूरा इमोशनल और फिजिकल एक्सपीरियंस चाहिए!” यही तो है पॉलीअमोरी – यानी एक से ज़्यादा लोगों से प्यार, और वो भी सबकी मर्ज़ी से। कोई धोखा नहीं, कोई झूठ नहीं। सब कुछ साफ़-साफ़ और खुले दिल से।
मोनोगैमी यानी सिर्फ एक पार्टनर – क्या वो बोरिंग हो गया है?
सच बताइए, क्या कभी लगा कि रिश्ता रूटीन बन गया है? वही बातें, वही वादे, वही नोकझोंक! अब लोग कह रहे हैं – “सिर्फ एक से निभाना मुश्किल है, जब दिल और शरीर कुछ और चाहता है!” इसीलिए कई कपल अब खुली बातचीत करके ओपन रिलेशनशिप, वाइफ स्वैपिंग, या वन नाइट स्टे तक की मंज़ूरी दे रहे हैं। कहने का मतलब ये कि प्यार और सेक्स में अब पाबंदियाँ नहीं, सिर्फ समझदारी है।
‘सेफ्टी’ और ‘कंसेंट’ – यही है असली रोमांस:
बहुत लोग सोचते हैं कि “क्या ये सब सही है?” जवाब सीधा है – अगर सबकी सहमति है और सब कुछ सेफ तरीके से हो रहा है, तो क्यों नहीं? सेक्स अब सिर्फ शरीर का मामला नहीं रहा, यह इमोशन, एक्सप्लोरेशन और एक्साइटमेंट का पैकेज बन चुका है। चाहे ओरल हो या वन नाइट स्टे – सब सही है, अगर दिल और दिमाग दोनों तैयार हैं।
फिल्मों और सीरीज़ ने भी हवा दी है इस ट्रेंड को:
आपने वेब सीरीज़ में देखा ही होगा – रोमांचक पार्टीज़, बबल डेटिंग, एक्सपेरिमेंटल सेक्स लाइफ़! ये सिर्फ स्क्रीन तक सीमित नहीं है, अब असली ज़िंदगी में भी लोग कह रहे हैं – “मैं अपनी सेक्स लाइफ़ के लिए खुद ज़िम्मेदार हूँ!” कोई शर्म नहीं, कोई डर नहीं। बस एक्साइटमेंट और एक्सप्लोरेशन।
तो क्या करें? चलें इस राह पर या नहीं?
ये पूरी तरह से आपकी चॉइस है। अगर आप मोनोगैमी में खुश हैं, तो गज़ब! लेकिन अगर आपका दिल कहता है – “कुछ नया चाहिए, कुछ अलग चाहिए,” तो पॉलीअमोरी या ओपन रिलेशनशिप भी विकल्प हैं। बस याद रखिए – कंसेंट (सहमति), कम्युनिकेशन और केयर – यही तीन चीजें सबसे जरूरी हैं।
जब रिश्ता हो ‘दिल से‘, तो डर किस बात का?
सेक्स और प्यार अब बंद कमरों की बातें नहीं रही। ये अब रिश्तों की आज़ादी और शरीर की सहजता का जश्न बन चुकी है। रिश्तों को डर से नहीं, भरोसे से जिएं – और जहां एक्साइटमेंट मिले, वहां कदम आगे बढ़ाने में क्या बुराई है?