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नेपाल देख लें… पोर्न बैन नाकाफी: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली 3 नवंबर 2025

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने नाबालिग किशोरों को पोर्न साइट्स की पहुँच से रोकने संबंधी एक अहम याचिका पर सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी है, लेकिन इसके साथ ही अदालत ने इस मुद्दे पर बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी की — “सिर्फ प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं हो सकता।” अदालत ने नेपाल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ पोर्न को बैन करने के बावजूद न तो समस्या खत्म हुई और न ही बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाई, बल्कि प्रतिबंधों को चकमा देने के नए रास्ते खुल गए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि डिजिटल युग में किसी सामग्री को ब्लॉक कर देना एक तकनीकी उपाय तो है, लेकिन समस्या कहीं अधिक गहरी और जटिल है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट पर अधिक समय बिता रही है, इसलिए पोर्नोग्राफिक सामग्री तक पहुँच रोकना सिर्फ तकनीकी बंदिशों से संभव नहीं। VPN, मिरर साइट्स और सोशल प्लेटफार्मों के माध्यम से किशोर आसानी से प्रतिबंधों के दायरे को पार कर जाते हैं। ऐसे में यदि माता-पिता, स्कूल और समाज अपनी ज़िम्मेदारी से पीछे हट जाएँ और सबकुछ कानून या प्लेटफॉर्म के भरोसे छोड़ दिया जाए — तो यह सीधे-सीधे युवाओं के मानसिक-स्वास्थ्य और व्यवहार को खतरे में डालने जैसा होगा।

अदालत ने सरकार और नीति-निर्माताओं को संकेत दिया कि समग्र नीति की आवश्यकता है — जिसमें Digital Parenting, Internet Safety Education, Healthy Sexual Awareness, Psychological Support और Social Monitoring जैसे तत्व शामिल हों। कोर्ट ने कहा कि नई पीढ़ी को जागरूक बनाना सबसे ज़रूरी है, क्योंकि जिज्ञासा को दबाने से नहीं, सही जानकारी और समझ देने से समाधान निकलता है।

इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख यह दर्शाता है कि बच्चों की सुरक्षा सिर्फ प्रतिबंधित दीवारें खड़ी कर देने भर से नहीं होगी, बल्कि एक ऐसे माहौल के निर्माण से होगी जहाँ किशोर जोखिमों को पहचानें और तकनीक का स्मार्ट व सुरक्षित उपयोग करना सीखें। अदालत ने साफ कहा — तकनीकी युग के जोखिमों से लड़ने के लिए समाज, सरकार, परिवार और स्कूल — सभी को मिलकर आगे आना होगा।

सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए न्यायालय ने सरकार से कहा कि वह इस विषय पर व्यापक योजना बनाकर अगली सुनवाई में अपना पक्ष रखे। उम्मीद है कि यह मामला भारत में डिजिटल सुरक्षा और किशोर संरक्षण पर नई बहस और नई नीति का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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