17 जनवरी से 26 जनवरी 2025 तक पणजी में आयोजित हुए 24वें लोकोत्सव ने गोवा को सांस्कृतिक उत्सवों की राजधानी बना दिया। इस विशाल आयोजन में भारत के कोने-कोने से 600 से अधिक लोक कलाकार और 1000 से अधिक कारीगर शामिल हुए, जिनमें राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, असम और ओडिशा जैसे राज्यों से प्रतिनिधित्व हुआ।
उत्सव का उद्घाटन मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने पारंपरिक दीप प्रज्वलन और लोक वादन के साथ किया। अपने भाषण में उन्होंने कहा, “गोवा न केवल समुद्र और सूरज की भूमि है, बल्कि यह लोक परंपराओं, शिल्प और सांस्कृतिक विरासत का भी गौरवशाली केंद्र है। लोकोत्सव इस सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत करने का प्रयास है।”
यह आयोजन सिर्फ एक मेले की तरह नहीं था, बल्कि एक संस्कृति संवाद मंच के रूप में भी उभरा। कारीगरों ने जहां पारंपरिक हस्तशिल्प—बांस, लकड़ी, मृत्तिका, कपड़े व धातु की कलाओं का प्रदर्शन किया, वहीं लोक कलाकारों ने विभिन्न जनपदीय नृत्यों, वाद्ययंत्रों और लोकगाथाओं की प्रस्तुति देकर पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस उत्सव से पर्यटन उद्योग को भी बड़ा प्रोत्साहन मिला, क्योंकि हजारों देशी-विदेशी पर्यटक गोवा की संस्कृति को नजदीक से देखने पहुंचे। स्थानीय व्यापारियों, होटलों और रेस्तरां को इसका प्रत्यक्ष लाभ हुआ, जिससे यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत सफल सिद्ध हुआ।
गोवा टूरिज़्म विभाग ने भी इस अवसर पर ‘Celebrate Culture in Goa’ नाम से एक विशेष अभियान चलाया, जिसमें सांस्कृतिक स्थलों, संग्रहालयों और ग्राम्य पर्यटन केंद्रों की प्रचार सामग्री को प्रमुखता दी गई। ‘Work from Goa’ योजना को भी पुनः प्रचारित किया गया, जिससे पेशेवर लोग कार्य के साथ छुट्टियों का आनंद ले सकें।
गोवा – संस्कृति, पर्यटन और समावेशन का संगम
जनवरी 2025 का महीना गोवा के लिए संस्कृति और पर्यटन के संपूर्ण एकीकरण का उदाहरण बन गया। लोकोत्सव–2025 न केवल एक रंगारंग आयोजन था, बल्कि इसने यह भी साबित किया कि स्थानीय लोक परंपराएं, जब प्रोत्साहित की जाती हैं, तो वे राज्य की आर्थिक और सामाजिक संरचना को भी सशक्त बना सकती हैं।
गोवा सरकार के ये प्रयास सांस्कृतिक उत्तराधिकार को संरक्षित करने, स्थानीय शिल्पकारों और कलाकारों को मंच देने, और राज्य को एक बहुआयामी पर्यटन गंतव्य के रूप में उभारने में निर्णायक सिद्ध हुए। जनवरी 2025, गोवा के सांस्कृतिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।