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छत्तीसगढ़ में हाथियों के लिए जंगल कम, इंसान-वन्यजीव संघर्ष तेज़

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छत्तीसगढ़ के जंगलों में लगातार हो रहे अतिक्रमण और कोयला खनन परियोजनाओं के चलते हाथियों के लिए सुरक्षित क्षेत्र कम होते जा रहे हैं। सूरजपुर, कोरबा और जशपुर जिलों में पिछले तीन वर्षों में इंसान-हाथी संघर्ष की घटनाओं में 45% की वृद्धि दर्ज की गई है। हाल ही में एक झुंड ने एक गांव में घुसकर चार लोगों को घायल किया और फसलें रौंद दीं।

वन विभाग की रिपोर्ट बताती है कि हाथी अपने पारंपरिक मार्गों से भटककर अब गाँवों की ओर जाने लगे हैं, क्योंकि जंगलों में ना तो उन्हें खाना मिल रहा है, ना ही पानी। इसके साथ-साथ खनन के कारण जंगलों की श्रंखला टूटी है, जिससे हाथियों की आवाजाही अवरुद्ध हो गई है। इससे वे आक्रामक हो जाते हैं।

सरकार ने कुछ क्षेत्रों में ‘हाथी कॉरिडोर’ विकसित करने की योजना शुरू की है, लेकिन ज़मीन अधिग्रहण और पुनर्वास की समस्याओं के चलते यह योजना धीमी गति से चल रही है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक जंगल नहीं बचेंगे, संघर्ष बढ़ते ही रहेंगे।

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