रांची, झारखंड
5 अगस्त 2025
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सह-संस्थापक और आदिवासी आंदोलन के महानायक शिबू सोरेन ‘दिशोम गुरु’ का मंगलवार को रामगढ़ जिले के उनके पैतृक गांव नेमरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
दिल्ली के एक निजी अस्पताल में सोमवार को उनका निधन हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को सुबह झारखंड विधानसभा परिसर में आम जनता के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां हजारों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
देश की शीर्ष राजनीतिक हस्तियों—राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘गुरुजी’ को दिल्ली में श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर शोक और सम्मान का गहरा माहौल पूरे राज्य और देश में देखा गया।
हेमंत सोरेन ने भावुक श्रद्धांजलि दी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक भावनात्मक पोस्ट में अपने पिता को याद करते हुए कहा, “मेरे जीवन का सबसे कठिन दौर है। झारखंड की आत्मा का एक स्तंभ आज चला गया। कोई किताब बाबा के संघर्ष को नहीं समझा सकती। लेकिन मैं उनकी अन्याय के खिलाफ लड़ाई को जारी रखूंगा।”
राज्य भर में शोक की लहर
झारखंड विधानसभा में शोक प्रस्ताव पारित किया गया और राज्य सरकार ने एक दिन के राजकीय अवकाश की घोषणा की। विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने भी शिबू सोरेन के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
दिशोम गुरु की विरासत
शिबू सोरेन न केवल एक राजनीतिक नेता थे, बल्कि झारखंड राज्य के निर्माण में उनकी भूमिका निर्णायक रही। वे आदिवासी अधिकारों, सामाजिक न्याय और क्षेत्रीय पहचान के लिए संघर्ष का प्रतीक बन चुके थे। उनका जीवन संघर्ष, आंदोलन और प्रतिबद्धता की मिसाल रहा है।
‘दिशोम गुरु’ अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका विचार, संघर्ष और झारखंड के लिए उनका सपना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनका अंतिम संस्कार केवल एक विदाई नहीं, बल्कि एक युग का अंत और प्रेरणा की शुरुआत है।