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भूस्खलन से अब तक15 की मौत: हिमाचल के बिलासपुर में हादसा, बस दब गई मलबे के नीचे

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हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में सोमवार शाम एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसने पूरे प्रदेश को शोक में डुबो दिया। बल्लू ब्रिज के पास पहाड़ से अचानक भारी मात्रा में मिट्टी और चट्टानें खिसककर नीचे गिर गईं, और उस वक्त सड़क से गुजर रही एक बस इस मलबे की चपेट में आ गई। देखते ही देखते बस पूरी तरह से मलबे में दब गई और चीख-पुकार मच गई। प्रशासन ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया है कि अब तक 15 शव निकाले जा चुके हैं, जबकि राहत-बचाव कार्य लगातार जारी है।

मौत के साए में दबी बस, रातभर चलेगा रेस्क्यू ऑपरेशन

स्थानीय प्रशासन और राज्य आपदा प्रबंधन दल (SDRF) ने तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू किया। जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाने की कोशिशें तेज़ी से जारी हैं। अधिकारियों के अनुसार अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि बस में कुल कितने यात्री सवार थे, लेकिन आशंका है कि कई लोग अभी भी अंदर फंसे हुए हैं। आसपास के ग्रामीण और राहगीर भी प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्यों में सहयोग दे रहे हैं।

राहतकर्मियों ने बताया कि पहाड़ी इलाका बेहद संवेदनशील है और बारिश के चलते मिट्टी नरम हो गई थी, जिससे बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ। अंधेरा और लगातार गिरता मलबा बचाव कार्य को मुश्किल बना रहा है, लेकिन अधिकारियों ने कहा है कि ऑपरेशन पूरी रात जारी रहेगा।

“दिल दहला देने वाला हादसा”, बोले मुख्यमंत्री सुक्खू

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि यह “दिल दहला देने वाला हादसा है” और सरकार हर संभव सहायता उपलब्ध कराएगी। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि राहत और बचाव कार्य में किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए और घायलों को तुरंत नज़दीकी अस्पतालों में भर्ती कराया जाए।

उन्होंने दिवंगत आत्माओं की शांति और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना की। सुक्खू ने यह भी कहा कि राज्य सरकार “इस कठिन समय में पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है।”

भूस्खलन से थर्राया बिलासपुर, ट्रैफिक ठप

हादसे के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग-205 पर लंबा जाम लग गया। सड़क दोनों ओर से बंद कर दी गई है क्योंकि लगातार मलबा गिरने की संभावना बनी हुई है। मौके पर पुलिस, दमकल और जिला प्रशासन की टीमें मौजूद हैं। बचावकर्मियों के अनुसार, सड़क को खुलवाने में कई घंटे लग सकते हैं।

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह इलाका पहले भी भूस्खलन-प्रवण क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया था, लेकिन सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम नहीं किए गए। इस घटना ने एक बार फिर हिमाचल की नाज़ुक भूगोल और लापरवाह प्रशासनिक तैयारियों की पोल खोल दी है।

पर्वतीय राज्यों में प्रकृति का प्रकोप जारी

हिमाचल के साथ-साथ उत्तराखंड और सिक्किम में भी इस हफ्ते भारी बारिश और बर्फबारी से हालात खराब हैं। पहाड़ी रास्तों पर कई जगह भूस्खलन की घटनाएँ दर्ज हुई हैं। मौसम विभाग ने पहले ही भारी वर्षा और भूस्खलन का अलर्ट जारी किया था, लेकिन बिलासपुर जैसी घटनाएँ यह दिखाती हैं कि चेतावनियों के बावजूद जमीनी स्तर पर तैयारियां अधूरी हैं।

मानवता की परीक्षा: एकजुट होकर चल रहा राहत मिशन

रात घिरते ही जब बचावकर्मी मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए जुटे हैं, स्थानीय ग्रामीणों ने भी मोमबत्तियों और मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मानव श्रृंखला बनाकर मदद शुरू कर दी। यह दृश्य भय और मानवता दोनों का मिश्रण था—जहां मौत का मंजर था, वहीं इंसानियत अपनी पूरी ताकत से संघर्ष कर रही थी।

राज्य प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को आपदा राहत निधि से सहायता राशि देने की घोषणा की है।

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