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लद्दाख को धैर्य से संभाला जा सकता था — युवाओं का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए: पूर्व बीजेपी सांसद

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नई दिल्ली / लेह, 26 सितंबर 2025 —l

 लद्दाख में हिंसा के बाद हालात पर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। पूर्व बीजेपी सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल ने केंद्र सरकार और प्रशासन पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि इस संवेदनशील मसले को धैर्य और संवाद के जरिए सुलझाया जा सकता था। उन्होंने चेतावनी दी कि जिन युवाओं ने अपनी जान गंवाई है, उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।

नामग्याल ने लेह में 24 सितंबर को हुए गोलीकांड पर गहरा दुख जताते हुए उपराज्यपाल को पत्र लिखकर निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि चार युवाओं की मौत और दर्जनों के घायल होने की घटना लद्दाख की आत्मा को झकझोर देने वाली है।

जामयांग त्सेरिंग नामग्याल ने कहा, “शोक संतप्त परिवारों का दुख अपार है और लद्दाख भर में गहरी पीड़ा है। लोग निर्दोष जानों के लिए न्याय, घायलों को राहत और भविष्य में ऐसी त्रासदी न दोहराने की गारंटी चाहते हैं।” 

पूर्व सांसद ने कहा कि सरकार को प्रतिरोध को कुचलने की बजाय, संवैधानिक रास्तों और संवाद से समाधान खोजने चाहिए। उन्होंने लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) द्वारा शांति बनाए रखने की अपील की सराहना की और केंद्र द्वारा 6 अक्टूबर को प्रस्तावित बैठक का स्वागत किया।

नामग्याल ने चेताया कि हिंसा का रास्ता आंदोलन की असली मांगों — राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में शामिल किए जाने और राजनीतिक अधिकारों — को कमजोर कर सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह समझना होगा कि लद्दाख की जनता की नाराजगी केवल कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और प्रतिनिधित्व का प्रश्न है।

यह बयान ऐसे समय आया है जब लेह और कारगिल में सुरक्षा बलों की गश्त बढ़ा दी गई है, इंटरनेट सेवाएँ प्रतिबंधित हैं और कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। केंद्र सरकार ने दिल्ली से विशेष दूत भेजकर स्थिति का जायज़ा लेना शुरू कर दिया है और उपराज्यपाल ने आपात बैठक बुलाई है।

 

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