तिरुवनंतपुरम, केरल
4 अगस्त 2025
जब भी कोई यात्री भारत में समुंदर के किनारे शांति, स्वास्थ्य और आत्मिक ऊर्जा की तलाश करता है — तो उसकी यात्रा अनायास ही कोवलम और वर्कला जैसे तटों की ओर बढ़ती है। इन दोनों स्थानों ने 2025 तक अपने पारंपरिक सौंदर्य को सहेजते हुए खुद को वेलनेस टूरिज़्म, योग रिट्रीट और डिजिटल डिटॉक्स डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित किया है। यह लेख उन यात्रियों के लिए है जो केवल ‘समंदर देखना’ नहीं, उसमें खुद को खोकर पाना चाहते हैं।
कोवलम — जहाँ सूर्यास्त ध्यान बन जाता है
कोवलम, तिरुवनंतपुरम से लगभग 13 किलोमीटर दूर, एक ऐसा समुद्रतटीय नगर है जो कभी मछुआरों का गांव था और आज अंतरराष्ट्रीय वेलनेस यात्रियों की पसंदीदा जगह है। यहाँ का सबसे प्रसिद्ध स्थल है लाइटहाउस बीच, जहाँ सूरज की रोशनी रेत को सुनहरा बनाती है और हवा में नारियल की महक हर ओर फैलती है। 2025 में कोवलम को भारत का पहला “Certified Ocean Wellness Circuit” घोषित किया गया है, जहाँ 70 से अधिक आयुर्वेद, योग और नैचुरोपैथी केंद्र हैं — जिनमें से कई महिला संचालित हैं।
हर सुबह यहाँ “सन सल्यूटेशन योग” आयोजित होता है, जहाँ सैकड़ों पर्यटक समुद्र के सामने योग करते हैं, और साथ में स्थानीय गायक ‘शांति मंत्र’ गाते हैं। कोवलम में अब Silent Beach Therapy शुरू की गई है — जहाँ एक निर्धारित समय पर मोबाइल और कैमरे बंद रहते हैं, और समुद्र की लहरें ही एकमात्र संवाद बनती हैं।
यहाँ के आयुर्वेद केंद्रों ने 2025 में ‘ब्लू आयुर्वेद’ की अवधारणा को बढ़ावा दिया है — जिसमें समुद्री खनिजों, नमकीन हवाओं और जल-ऊर्जा को चिकित्सा के साथ जोड़ा गया है। Arthritis, anxiety, insomnia और तनाव के मरीज अब यहाँ केवल इलाज नहीं, मानसिक सुकून के लिए आते हैं।
वर्कला — जहाँ चट्टानें गीत सुनाती हैं
कोवलम की तुलना में अधिक शांत, अधिक कलात्मक और अधिक आत्मीय है — वर्कला। यह एकमात्र ऐसा समुद्र तट है जहाँ समुद्र के किनारे पर लाल मिट्टी की प्राकृतिक चट्टानें खड़ी हैं, जिनके नीचे से जलकणों से भरपूर झरने बहते हैं। 2025 में वर्कला को “एशिया का टॉप 5 होलिस्टिक रिट्रीट सेंटर” माना गया है।
वर्कला का ‘पापनाशम बीच’ एक आध्यात्मिक केंद्र भी है, जहाँ लोग स्नान कर अपने कष्टों और पापों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। यही वह तट है जहाँ ध्यान, भजन, और मौन एक साथ बहते हैं। यहाँ के ‘ट्रेडिशनल साउंड हीलिंग सेंटर’ में हर शाम बांसुरी, गोंग और सिंगिंग बाउल्स के माध्यम से “ध्वनि स्नान” कराया जाता है — जो यात्रियों को मानसिक शुद्धता की ओर ले जाता है।
वर्कला में अब ईको-बैकपैकिंग का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। लकड़ी और बांस से बने होस्टल, समुद्र के किनारे चलने वाले आर्गेनिक कैफे, और ‘हैप्पी ऑवर बुक क्लब’ जैसे आयोजनों ने इसे युवाओं का पसंदीदा बना दिया है। यहाँ के “डिजिटल सनडाउन” नामक आयोजन में सूर्यास्त से पहले पर्यटक अपने फ़ोन बंद कर देते हैं और केवल साथ बैठकर, कहानियाँ सुनाते हैं या मौन साधते हैं।
वर्कला में 2025 से शुरू हुई “क्लिफ सर्किट वॉक”, जो पूरी चट्टान पर 3 किलोमीटर का सैरगाह है, अब एक सांस्कृतिक कॉरिडोर बन चुका है। यहाँ हर शनिवार लोक कलाकार बांसुरी, कथकली, थियाटर या कठपुतली के जरिए समुद्र के किनारे अपनी कला प्रस्तुत करते हैं। यह पर्यटन नहीं, संवेदनाओं का उत्सव बन गया है।
समग्र अनुभव: स्वास्थ्य + संस्कृति + आत्म-संवाद
कोवलम और वर्कला ने 2025 में भारतीय पर्यटन को एक नई दिशा दी है — जहाँ जगह केवल यात्रा की नहीं, आत्म-समर्पण की होती है। ये स्थल यात्रियों को न केवल सुकून देते हैं, बल्कि उन्हें स्वयं से जोड़ते हैं। यहाँ हर लहर एक मंत्र है, हर तट एक ध्यानस्थल, और हर सूर्यास्त — एक नयी शुरुआत।
केरल पर्यटन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष इन दोनों स्थलों पर 38% पर्यटक विदेशी थे और 47% ऐसे लोग थे जो “Only Wellness” उद्देश्य से आए थे। यह दर्शाता है कि पर्यटन अब केवल घूमना नहीं रहा, वह एक जीवनशैली बन चुका है — और कोवलम तथा वर्कला इसके सबसे सफल मॉडल हैं।