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जानिए जानलेवा गैंग्रीन

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नई दिल्ली 28 अगस्त 2025

गैंग्रीन एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जिसमें शरीर के किसी हिस्से का ऊतक (टिश्यू) मरने लगता है। ऐसा तब होता है जब उस हिस्से तक खून का प्रवाह रुक जाता है या बहुत कम रह जाता है। खून के प्रवाह के बिना उस हिस्से की कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाते, जिस वजह से धीरे-धीरे वह हिस्सा सूज जाता है, काला पड़ जाता है और सड़ने लगता है। कई बार इसमें बैक्टीरिया का संक्रमण भी शामिल हो जाता है, जिससे बदबू आने लगती है और रोगी को तेज़ दर्द व बुखार हो सकता है। अगर समय रहते इलाज न हो तो यह संक्रमण खून के ज़रिए पूरे शरीर में फैल सकता है और जान तक ले सकता है।  

गैंग्रीन के प्रकार  

गैंग्रीन मुख्य रूप से चार प्रकार का होता है और सभी का असर और खतरा अलग-अलग होता है। पहला है सुखा गैंग्रीन, जिसमें संक्रमण कम होता है लेकिन प्रभावित हिस्सा काला और सूखा हो जाता है। दूसरा है गीला गैंग्रीन, जो बैक्टीरिया संक्रमण की वजह से होता है और उसमें मवाद, बदबू व तेज़ सूजन होती है, जो बहुत जल्दी फैलती है। तीसरा प्रकार है गैस गैंग्रीन, जो बैक्टीरिया “क्लोस्ट्रीडियम” से होता है और यह सबसे खतरनाक होता है क्योंकि यह बहुत तेजी से शरीर में फैलता है और ऊतक के अंदर गैस बनने लगती है। चौथा है इंटरनल गैंग्रीन, जो आंतरिक अंगों जैसे कि आंत, पेट या अन्य अंगों में हो सकता है, और इसका पता लगाना कठिन होता है।  

 सुखा गैंग्रीन  

सुखा गैंग्रीन सामान्यतः धीरे-धीरे बढ़ता है और इसका कारण अक्सर लंबे समय से बनी हुई कोई समस्या होती है, जैसे डायबिटीज या लंबे समय तक खून का प्रवाह रुक जाना। इसमें प्रभावित हिस्से की त्वचा और ऊतक काले या भूरे रंग के दिखने लगते हैं और वो हिस्सा कठोर एवं सूखा हो जाता है। इस प्रकार में संक्रमण जितना देखने को मिलता है उतना खतरनाक नहीं होता और अक्सर समय रहते सर्जरी या मृत टिश्यू निकालने से रोगी पूरी तरह ठीक हो सकता है। यही कारण है कि यह गैंग्रीन के सभी प्रकारों में सबसे कम खतरनाक माना जाता है।  

 गीला गैंग्रीन  

गीला गैंग्रीन आमतौर पर चोट, जलन या बैक्टीरिया संक्रमण से होता है। जब शरीर में कोई घाव संक्रमित हो जाता है और उस जगह पर खून का प्रवाह सही नहीं रहता, तब यह बीमारी तेजी से फैलती है। इसमें प्रभावित हिस्सा लाल, सूजा हुआ और गीला दिखाई देता है, साथ ही उसमें से मवाद और तेज़ बदबू आ सकती है। इसकी सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह बहुत तेजी से पूरे शरीर में रक्त संक्रमण (सेप्सिस) पैदा कर देता है, जिससे जान का खतरा काफी बढ़ जाता है। यदि प्रारंभिक अवस्था में इसका इलाज एंटीबायोटिक और सर्जरी से किया जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन अगर इलाज में देर हो जाए तो यह जानलेवा हो सकता है।  

 गैस गैंग्रीन  

गैस गैंग्रीन सबसे खतरनाक प्रकार है, जिसे “क्लोस्ट्रीडियम” नामक बैक्टीरिया फैलाता है। यह बैक्टीरिया ऑक्सीजन की कमी वाली जगहों पर तेजी से पनपता है और ऊतक के भीतर गैस पैदा करता है। लक्षणों में बहुत तेज़ दर्द, सूजन, फफोले, बदबू और त्वचा के नीचे हवा जैसी हलचल महसूस होना शामिल है। यह बीमारी बहुत कम समय में पूरे शरीर में संक्रमण फैला सकती है और बिना इलाज के मृत्यु का खतरा अत्यधिक होता है। इस स्थिति में तत्काल अस्पताल पहुंचना और सर्जरी के साथ-साथ मजबूत एंटीबायोटिक देना ही जान बचाने का एकमात्र उपाय है।  

इंटरनल गैंग्रीन  

इंटरनल गैंग्रीन का होना सबसे मुश्किल पहचानने योग्य स्थिति होती है, क्योंकि यह शरीर के अंदरूनी अंगों जैसे आंत, पेट या अन्य महत्वपूर्ण अंगों में होता है। इसके लक्षण भी सामान्य पेट दर्द, उल्टी, बुखार या कमजोरी जैसे हो सकते हैं, जिनकी वजह से बीमारी को सही वक्त पर पकड़ना कठिन हो जाता है। अगर डॉक्टर समय पर पहचान न कर पाएं और इलाज देर से शुरू हो, तो यह स्थिति तेजी से बिगड़ सकती है और मरीज को बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसीलिए इंटरनल गैंग्रीन में लक्षणों को समझना और त्वरित जांच करवाना बेहद ज़रूरी है।  

इलाज और बचने की संभावना  

अगर मरीज को सही समय पर इलाज मिल जाए तो सुखा गैंग्रीन में बचने की सबसे अधिक संभावना होती है। वहीं, शुरुआती अवस्था में गीला गैंग्रीन और इंटरनल गैंग्रीन का भी इलाज मुमकिन है। लेकिन गैस गैंग्रीन और देर से इलाज किए गए गीला गैंग्रीन में बचना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि यह कुछ ही घंटों में गंभीर रूप ले लेता है। इलाज में मुख्य रूप से एंटीबायोटिक देना, प्रभावित ऊतक हटाना, आवश्यक होने पर अंग काटना (Amputation), और सेप्सिस को रोकना शामिल है। जितना जल्दी इलाज शुरू होगा, मरीज की जान बचाने की संभावना उतनी ही ज़्यादा होगी।  

बचाव और सावधानियाँ  

गैंग्रीन से बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि किसी भी चोट, घाव या जलन को हल्के में न लिया जाए और तुरंत उसकी सही देखभाल की जाए। जिन लोगों को डायबिटीज, दिल की बीमारी या रक्त संचार से जुड़ी समस्या है, उन्हें खास सतर्कता बरतनी चाहिए। घाव में सूजन, लालिमा, बदबू, या मवाद आने लगे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। छोटे-से लक्षण को भी नज़रअंदाज़ करने से बड़ी परेशानी हो सकती है। नियमित स्वास्थ्य जांच, ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना और गंभीर चोट पर तुरंत चिकित्सा लेना ही सबसे बड़ा बचाव है।  

गैंग्रीन सिर्फ एक बीमारी नहीं बल्कि शरीर के किसी हिस्से का धीरे-धीरे खत्म होना है। यह बीमारी प्रभावित अंग को नष्ट करने के साथ-साथ पूरे शरीर के लिए खतरा बन जाती है। सुखा गैंग्रीन कम खतरनाक होता है, लेकिन गीला गैंग्रीन और विशेषकर गैस गैंग्रीन बहुत जल्दी जानलेवा साबित हो सकते हैं। इसलिए, अगर किसी भी प्रकार के लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर की मदद लेना ही जीवन बचाने का सबसे सही और सुरक्षित तरीका है।  

 

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