नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025
लोकसभा बुधवार को एक बेहद विवादित और शर्मनाक घटना की गवाह बनी, जब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू और रवींद्र सिंह बिट्टू ने उनकी महिला सांसदों पर जानबूझकर हमला किया। घटना उस समय हुई जब गृह मंत्री अमित शाह ने तीन नए विधेयक लोकसभा में पेश किए, जिनमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को गंभीर आरोपों में 30 दिन तक हिरासत में रहने पर पद से हटाने का प्रावधान शामिल है। टीएमसी नेताओं का कहना है कि यह हमला केवल शारीरिक नहीं था, बल्कि सीधे लोकतंत्र और संसद की गरिमा पर हमला था।
टीएमसी की महिला सांसद मिताली बाग ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “जब हम विधेयकों का विरोध कर रही थीं, तब केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू और रवींद्र सिंह बिट्टू ने मुझ पर अचानक हमला किया। उन्होंने मुझे धक्का दिया और मैं जख्मी हुई। यह न केवल हमारे अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि सीधे लोकतंत्र पर हमला है। ये लज्जाजनक और शर्मनाक कृत्य हैं।” टीएमसी की शताब्दी रॉय ने भी आरोप दोहराते हुए कहा कि बीजेपी नेताओं ने महिला सांसदों के साथ मारपीट की और उनका उत्पीड़न किया।
बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि घटना के दौरान कोई भी सांसदों को धक्का नहीं दे रहा था। लेकिन विपक्ष का कहना है कि जो हुआ वह स्पष्ट रूप से “assault” था और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। लोकसभा की कार्यवाही इस घटना के बाद कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई, और हंगामे ने संसद की दीवारों तक राजनीतिक तनाव की भयंकर तस्वीर पेश की।
टीएमसी ने केंद्रीय मंत्रियों किरन रिजिजू और रवींद्र सिंह बिट्टू के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, सार्वजनिक माफी और इस्तीफे की मांग की है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संसद में महिलाओं पर शारीरिक हमला लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है और यह दिखाता है कि सत्ता की हठधर्मी और आक्रामक मानसिकता संसद में भी प्रवेश कर चुकी है।
गौरतलब है कि इस हंगामे के बीच विपक्षी दलों ने विधेयकों की प्रतियां फाड़कर अपना विरोध जताया और इसे लोकतंत्र के खिलाफ बड़ा कदम बताया। अब यह मामला संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में जाएगा, जहां विधेयकों पर और विस्तार से विचार-विमर्श किया जाएगा।