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वोट कटुआ बनने को बेचैन केजरीवाल: बिहार चुनाव में उतारेंगे प्रत्याशियों की फौज

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नई दिल्ली 6 अक्टूबर 2025

आम आदमी पार्टी बिहार में अकेले लड़ेगी चुनाव

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सियासी बिसात बिछ चुकी है, और अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने साफ कर दिया है कि वह बिहार में किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी, बल्कि सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी। केजरीवाल का कहना है कि बिहार में भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और शिक्षा की दुर्दशा के खिलाफ अब “जनता की सरकार” बनाने का समय आ गया है। इस ऐलान के साथ ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। कई विपक्षी दलों का कहना है कि केजरीवाल का यह कदम बिहार की मुख्य विपक्षी एकजुटता को कमजोर करेगा और इससे सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा।

 पहली उम्मीदवार सूची जारी — 11 नामों से AAP ने खोला चुनावी खाता

आम आदमी पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव की पहली उम्मीदवार सूची जारी कर दी है, जिसमें कुल 11 प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं। इन सीटों में बेगूसराय, कुशेश्वरस्थान (दरभंगा), तरैया (सारण), क़स्बा (पूर्णिया), बेनीपट्टी (मधुबनी), फुलवारीशरीफ (पटना), बांकीपुर (पटना), किशनगंज, परिहार (सीतामढ़ी), गोविंदगंज (मोतिहारी) और बक्सर शामिल हैं।

AAP के प्रदेश प्रभारी ने बताया कि पार्टी ने इन उम्मीदवारों को उनकी “जनसेवा की पृष्ठभूमि” और “ईमानदार छवि” के आधार पर चुना है। पार्टी का दावा है कि यह उम्मीदवार परंपरागत जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करेंगे। लेकिन विरोधियों का कहना है कि AAP का यह कदम चुनावी समीकरण को उलझाने की रणनीति है, जिससे विपक्षी वोटों का बंटवारा तय माना जा रहा है।

“वोट कटुआ” का टैग 

AAP के मैदान में उतरते ही राजद और कांग्रेस ने एक सुर में केजरीवाल पर हमला बोलती रही है। राजद के प्रवक्ता ने कहा था कि “केजरीवाल को बिहार की जनता नहीं भूलेगी। वह यहां न तो संगठनात्मक रूप से मजबूत हैं और न ही जमीनी पकड़ रखते हैं। उनका मकसद सिर्फ विपक्षी वोटों को काटना है ताकि बीजेपी को अप्रत्यक्ष फायदा मिले।”

वहीं कांग्रेस ने इसे “वोट कटुआ राजनीति” का उदाहरण बताया। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “दिल्ली में बैठे केजरीवाल अब बिहार में भी बीजेपी की मदद के लिए उतरे हैं। जो आदमी दिल्ली और पंजाब के बाहर कहीं जीत नहीं पाया, वह यहां सिर्फ वोटों का बंटवारा करने आया है।

बीजेपी-आरएसएस का छोटा रिचार्ज

देश की राजनीतिक सरज़मीं पर यह आरोप नया नहीं है कि अरविंद केजरीवाल की राजनीति विपक्ष की एकजुटता को कमजोर करने के लिए ही सक्रिय होती है। कई दलों, विशेषकर कांग्रेस के नेताओं ने उन्हें खुले तौर पर “बीजेपी और आरएसएस का छोटा रिचार्ज” कहकर निशाना साधा था। विपक्ष का तर्क है कि हर बार जब विपक्षी एकता किसी राज्य में मज़बूती की ओर बढ़ती है, तब केजरीवाल अचानक मैदान में उतरकर समीकरण बदलने का काम करते हैं। उनका आरोप है कि केजरीवाल की रणनीति हमेशा बीजेपी विरोधी वोटों को बाँटने की होती है, जिससे अंततः सत्ता का फायदा बीजेपी को मिलता है। विपक्ष का कहना है कि दिल्ली और पंजाब में मिली सफलता ने केजरीवाल को राष्ट्रीय महत्वाकांक्षी तो बना दिया लेकिन उनकी राजनीति हमेशा “सिस्टम के सुधार” के नाम पर “विपक्ष के नुकसान” का कारण बनती रही है। केजरीवाल ने उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल, गुजरात और गोवा में कांग्रेस का वोट काट कर बीजेपी को जिताने का काम किया था।

बिहार में AAP की जमीनी हकीकत

 आम आदमी पार्टी की बिहार में संगठनात्मक उपस्थिति बहुत सीमित है। 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP ने कुछ सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, पर सभी की जमानत जब्त हो गई थी। पार्टी की बिहार इकाई ने पिछले कुछ महीनों में कई जिलों में “जनसंवाद यात्रा” और “स्कूल शिक्षा मॉडल” पर संगोष्ठियाँ की हैं। पटना, दरभंगा, भागलपुर और गया में स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे संगठन सक्रिय किए जा रहे हैं।

फिर भी AAP का सीधा असर सीमित होगा, कुछ सीटों पर वह विपक्षी वोटों का बंटवारा कर सकती है, जिससे भाजपा-नीतीश गठबंधन को परोक्ष लाभ मिल सकता है।

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