Home » Health » दिल धड़कता रहे… ज़िंदगी चलती रहे— 40 के बाद कैसे रखें हार्ट हेल्दी

दिल धड़कता रहे… ज़िंदगी चलती रहे— 40 के बाद कैसे रखें हार्ट हेल्दी

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

डॉ काज़ी गज़वान 

नई दिल्ली 10 अक्टूबर 2025

40 की उम्र के बाद ज़िंदगी का सफ़र एक बिल्कुल नए और ज़रूरी मोड़ पर पहुँच जाता है। इस पड़ाव पर हमें अनुभव, जिम्मेदारियाँ और कामयाबी के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य की सबसे बड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ता है। जैसे-जैसे हम इस उम्र की ओर बढ़ते हैं, शरीर का मेटाबॉलिज़्म (भोजन को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया) धीमा पड़ने लगता है, हार्मोन में बदलाव आने लगते हैं, और हमारे दिल पर दबाव बढ़ना शुरू हो जाता है। 

आज की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में, 40 के बाद अपने दिल का ख़्याल रखना सिर्फ़ एक अच्छी सलाह नहीं, बल्कि जीवन की सबसे ज़रूरी ज़िम्मेदारी बन गई है। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि पिछले कुछ सालों में हृदय रोगों (Heart Diseases) के मामलों में बहुत तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है, और चिंता की बात यह है कि दिल का दौरा (Heart Attack) अब सिर्फ़ बुज़ुर्गों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि 35 से 45 साल के युवा वर्ग में भी यह आम हो चुका है। हमारी तेज़ी से भरी जीवनशैली, लगातार का तनाव, खानपान की बुरी आदतें, और शराब या धूम्रपान की लत धीरे-धीरे एक “साइलेंट किलर” की तरह हमारे दिल को अंदर से कमज़ोर कर रही हैं।

दिल की असली ज़रूरत — रफ़्तार नहीं, संतुलन

हममें से ज़्यादातर लोग यह मानकर चलते हैं कि दिल की बीमारियाँ अचानक आती हैं, जबकि सच्चाई यह है कि यह बीमारियाँ सालों की अनदेखी के कारण धीरे-धीरे बनती हैं। जब हम 40 की उम्र तक पहुँचते हैं, तो हमारी धमनियों (शरीर में रक्त ले जाने वाली नसें) में वसा (Cholesterol) और ट्राइग्लिसराइड्स जैसे चिकनाई वाले पदार्थ जमा होने लगते हैं। अगर हम रोज़ाना व्यायाम नहीं करते, ग़लत तरह का खाना खाते हैं या लगातार बहुत ज़्यादा तनाव में रहते हैं, तो यह जमा हुआ वसा रक्त के बहाव को धीमा कर देता है। इसी धीमी प्रक्रिया के कारण धीरे-धीरे हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, शुगर लेवल गड़बड़ा जाता है, और अंततः हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थितियाँ पैदा हो जाती हैं। 

डॉक्टर अक्सर कहते हैं कि “Heart doesn’t fail overnight; it fails by neglect,” यानी दिल अचानक काम करना बंद नहीं करता, बल्कि हम उसे सालों-साल की लापरवाही से थका देते हैं। इसलिए, 40 की उम्र के बाद सबसे ज़्यादा ज़रूरी है नियमित स्वास्थ्य जाँच — हमें हर छह महीने में अपना ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और ईसीजी (ECG) ज़रूर कराना चाहिए। यह काम टालने वाला नहीं, बल्कि समझदारी दिखाने वाला है।

लाइफ़स्टाइल बदलाव — ‘कम करो, सही करो, रोज़ करो’ का मंत्र

40 के बाद अपने जीवन जीने के तरीके (लाइफ़स्टाइल) में बदलाव लाना ही सबसे बड़ी दवा है। इसके लिए एक सरल मंत्र है: ‘कम करो, सही करो, रोज़ करो’। ‘कम करो’ का मतलब है काम और खाने दोनों में संतुलन रखना। ‘सही करो’ का मतलब है जो भी काम या फ़ैसला करो, वह सोच-समझकर और शरीर के लिए फ़ायदेमंद हो। और ‘रोज़ करो’ का मतलब है हर दिन कुछ ऐसा ज़रूर करो जो आपके शरीर और मन दोनों को आराम दे। 

सुबह के समय कम से कम 40 मिनट तेज़ चलना (वॉक) या योगासन करना बहुत फ़ायदेमंद होता है। अगर आप सप्ताह में पाँच दिन यानी कुल मिलाकर 150 मिनट की शारीरिक गतिविधि करते हैं, तो यह जादू की तरह आपके दिल को स्वस्थ रखता है। साथ ही, गहरी सांस लेने के अभ्यास (प्राणायाम) और ध्यान (Meditation) से तनाव का स्तर घटता है, जो सीधे तौर पर दिल को आराम पहुँचाता है। खाने-पीने में हल्का और पौष्टिक भोजन चुनें — रिफाइंड तेल और सफेद आटे की जगह सरसों या जैतून का तेल और साबुत अनाज का इस्तेमाल करें। ज़्यादा नमक और चीनी से दूर रहें, क्योंकि यही दोनों ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ की जड़ बनते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक, पैक्ड फूड और तले हुए स्नैक्स को अपनी रोज़ की डाइट से हटाकर सिर्फ़ “कभी-कभी” खाने वाली चीज़ बनाएँ।

नॉन-वेज खाने वालों के लिए ज़रूरी परहेज़

जो लोग नॉन-वेजिटेरियन हैं, उन्हें 40 की उम्र के बाद अपने खानपान में कंट्रोल और सफ़ाई (क्लीननेस) दोनों लाने की सख़्त ज़रूरत है। रेड मीट (जैसे बकरा या गाय का मांस) में सैचुरेटेड फैट (बुरी चिकनाई) की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है, जो धमनियों में रुकावट (ब्लॉकेज) को बढ़ाती है। इसलिए, रेड मीट को हफ़्ते में केवल एक बार तक सीमित कर देना चाहिए। इसके बजाय, मछली (फ़िश), चिकन ब्रेस्ट या अंडे के सफ़ेद हिस्से (एग व्हाइट) को ज़्यादा खाएँ, क्योंकि इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो दिल को स्वस्थ रखता है। ज़्यादा तला हुआ या मसालेदार नॉन-वेज खाने से बचें।

 ग्रिल्ड (सेंका हुआ), स्टीम्ड (भाप में पकाया हुआ) या उबला हुआ भोजन न केवल स्वादिष्ट हो सकता है, बल्कि दिल के लिए भी बहुत अच्छा होता है। साथ ही, अपने खाने में फाइबर और हरी सब्ज़ियों की मात्रा बढ़ाएँ, ताकि शरीर में कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बना रहे। सबसे ख़ास बात, भारी नॉन-वेज भोजन करने के तुरंत बाद सोने या लेटने की आदत बिल्कुल छोड़ दें, क्योंकि यह आदत दिल और लिवर दोनों पर एक साथ बहुत ज़्यादा बोझ डालती है।

डेयरी प्रोडक्ट्स के शौकीन क्या करें

40 की उम्र के बाद मलाई, मक्खन, चीज़ और घी जैसे डेयरी फैट का सेवन करते समय संतुलन (Moderation) सबसे ज़रूरी है। इन चीज़ों में सैचुरेटेड फैट बहुत ज़्यादा होता है, जो धमनियों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ा सकता है और दिल के लिए ख़तरा पैदा कर सकता है। अगर आप पराठे या ब्रेड पर बहुत ज़्यादा मक्खन या रोटी पर बहुत सारा घी लगाने के शौकीन हैं, तो यह आदत तुरंत बदलनी होगी। डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि पूरे दिन में कुल फैट का सेवन एक छोटी चम्मच (लगभग 5-7 ग्राम) से ज़्यादा न हो। मक्खन या चीज़ की जगह लस्सी या छाछ (बटरमिल्क) को प्राथमिकता दें, क्योंकि इनमें फैट कम और प्रोबायोटिक्स ज़्यादा होते हैं। कोशिश करें कि मलाई या मक्खन सिर्फ़ कभी-कभी और बहुत सीमित मात्रा में ही लें। इसके बजाय, घी या मक्खन की मात्रा आधी कर दें और पराठों को तलने की जगह सेककर खाएं।

भारतीय ट्रेडिशनल वेजिटेरियंस फूड में भी एहतियात जरूरी

समोसे, छोले भटूरे, पाव भाजी, पराठे और कचौड़ी जैसे स्वादिष्ट और लोकप्रिय व्यंजन भारतीय जीवनशैली का अहम हिस्सा हैं, पर ये सभी गहरे तले हुए, मैदे और अत्यधिक तेल/मसाले से बने होते हैं। 40 की उम्र के बाद या हृदय स्वास्थ्य के लिए इन्हें रोज़ाना खाना दिल की सेहत के लिए ख़तरनाक है, क्योंकि ये कोलेस्ट्रॉल और वज़न को तेज़ी से बढ़ाते हैं। अगर आप इन व्यंजनों के शौकीन हैं, तो इन्हें अपनी “रूटीन डाइट” से हटाकर “ट्रीट” (यानी किसी ख़ास दिन का भोजन) में बदल दें। मात्रा कम करें: उदाहरण के लिए, छोले भटूरे हफ़्ते में एक बार से ज़्यादा न खाएं और सिर्फ एक भटूरा लें; समोसे या कचौड़ी महीने में एक या दो बार ही लें। तले हुए की जगह हल्का चुनें: रोज़ के खाने में पनीर/आलू पराठे की जगह दलिया, ओट्स या बेसन का चीला खाएं, और पाव भाजी में पाव को कम तेल में सेंककर या ब्राउन ब्रेड के साथ खाएं। इन व्यंजनों को खाने से पहले हमेशा सलाद या एक कटोरी दही खाएं, ताकि पेट जल्दी भर जाए और आप कम ऑयली चीज़ें खाएं। संतुलन और नियंत्रण ही इन आदतों से निपटने का एकमात्र रास्ता है।

खाने के साथ कोलड्रिंक और मीठा सोडा स्लो पॉइजन

अगर आप हर बार खाने के साथ कोल्ड ड्रिंक या मीठा सोडा लेते हैं, तो यह आदत आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ख़तरनाक साबित हो सकती है, खासकर 40 की उम्र के बाद। कोल्ड ड्रिंक्स में बहुत ज़्यादा चीनी (रिफाइंड शुगर) होती है, जिससे न केवल वज़न तेज़ी से बढ़ता है, बल्कि यह सीधे डायबिटीज़ (शुगर रोग) और हृदय रोगों का ख़तरा भी बढ़ाती है। ये ड्रिंक्स आपके शरीर में ब्लड शुगर को अचानक बहुत ऊँचा कर देते हैं, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है। इसके अलावा, कोल्ड ड्रिंक में मौजूद फास्फोरिक एसिड आपकी हड्डियों को कमज़ोर कर सकता है और पाचन प्रक्रिया को धीमा करता है। अपने दिल और सेहत को सुरक्षित रखने के लिए, इस नियमित आदत को तुरंत सादे पानी, नींबू पानी, या ताज़ी छाछ से बदल दें, क्योंकि रोज़ाना चीनी युक्त पेय पीना एक साइलेंट किलर की तरह है जो आपकी धमनियों और मेटाबॉलिज्म को नुकसान पहुँचाता है।

व्हिस्की, बीयर और शराब के शौकीन लोगों के लिए चेतावनी और समाधान

शराब को लेकर समाज में सबसे बड़ा भ्रम यही है कि “थोड़ी मात्रा में पीने से कोई नुकसान नहीं होता।” लेकिन सच यह है कि 40 की उम्र के बाद शरीर की अल्कोहल को पचाने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में लिवर और दिल पर इसका असर पहले से दोगुना हो जाता है। अगर आप व्हिस्की या वाइन पीने के शौकीन हैं, तो इसे केवल “ख़ास मौकों पर पीने वाली चीज़” (सोशल ड्रिंक) तक ही सीमित रखें, इसे कभी भी “रोज़ की आदत” (रूटीन ड्रिंक) न बनाएँ। 

डॉक्टर्स की सलाह के अनुसार, पुरुषों को हफ़्ते में ज़्यादा से ज़्यादा दो दिन और महिलाओं को एक दिन से ज़्यादा शराब नहीं पीनी चाहिए। एक बार में 60ml (एक पेग) से ज़्यादा शराब पीने से आपके हार्ट, ब्लड प्रेशर और लिवर पर बहुत बुरा असर पड़ता है। शराब के साथ कभी भी तला हुआ खाना या रेड मीट न लें, क्योंकि यह शरीर में फैट (चिकनाई) को पचाने की प्रक्रिया को बिगाड़ देता है। कई बार लोग तनाव दूर करने के लिए शराब पीते हैं, जो कि सबसे ख़तरनाक संकेत है — क्योंकि यह धीरे-धीरे आपको शराब पर निर्भरता और गहरे डिप्रेशन की ओर ले जाता है।

कैलोरी संतुलन: अंदाज़े से समझें अपनी ज़रूरत

कोई भी व्यक्ति रोज़ाना अपनी कैलोरी गिनकर खाना नहीं खाता है, इसलिए आपको सटीक संख्या पर नहीं, बल्कि कैलोरी संतुलन के अंदाज़े पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आपको दो सरल नियमों को समझना होगा। सबसे पहले, अपने शारीरिक लक्ष्य को पहचानें: वज़न बनाए रखने के लिए आपको लगभग उतनी ही कैलोरी लेनी चाहिए जितनी आप खर्च करते हैं (कैलोरी इन = कैलोरी आउट)। वज़न कम करने के लिए आपको थोड़ी कम कैलोरी लेनी चाहिए और ज़्यादा बर्न करनी चाहिए (कैलोरी इन < कैलोरी आउट)। दूसरा, भुखमरी और ऊर्जा के स्तर पर ध्यान दें: अगर आप ज़रूरत से ज़्यादा खा रहे हैं, तो आपको खाने के बाद भारीपन या सुस्ती महसूस होगी, जबकि पर्याप्त कैलोरी लेने पर आप पूरे दिन ऊर्जावान महसूस करेंगे और भूख सही समय पर लगेगी। 

आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से समान्य गतिविधियों (चलना, खड़े रहना) और व्यायाम (एक्सरसाइज़) को बढ़ाकर कैलोरी बर्न आउट की तरफ़ ध्यान दे सकते हैं और शुगर व तले हुए भोजन को कम करके कैलोरी सेवन को नियंत्रित कर सकते हैं। यह अंदाज़ा आपको एक संतुलित जीवनशैली अपनाने में मदद करेगा, जहाँ आपका शरीर आपको खुद बता देगा कि आपने सही मात्रा में खाया है या नहीं।

स्वस्थ रहने के लिए आसान कसरत और स्पोर्ट्स

जिम जाए बिना खुद को स्वस्थ और फिट रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हल्की (लाइट) शारीरिक गतिविधियाँ शामिल करें, जिनके लिए ज़्यादा समय की ज़रूरत न हो। इसके लिए सबसे बेहतरीन है तेज़ चलना (Brisk Walking), जिसे आप कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं—दिन में कम से कम 30 से 45 मिनट की तेज़ वॉक आपके दिल और पूरे शरीर के लिए कमाल का काम करती है। इसके अलावा, साइकिल चलाना एक शानदार कार्डियो वर्कआउट है जो घुटनों पर कम दबाव डालता है। 

अगर आप खेल पसंद करते हैं, तो बैडमिंटन, टेबल टेनिस या स्विमिंग को अपने रूटीन का हिस्सा बनाएँ; ये खेल न केवल मज़ेदार होते हैं, बल्कि आपकी मांसपेशियों और सहनशक्ति को भी बढ़ाते हैं। घर पर ही योग के सरल आसन जैसे सूर्य नमस्कार या स्ट्रेचिंग करना, और सीढ़ियाँ चढ़ने को अपनी आदत बनाना भी उतना ही फ़ायदेमंद है। याद रखें, लगातार और नियमित तौर पर की गई ये छोटी-छोटी कसरत ही आपको लंबी अवधि में फिट और हेल्दी रखती हैं।

दिल का सबसे बड़ा इलाज — खुश रहना और धीमा जीना

हमारे शरीर का सबसे बड़ा इंजन हमारा दिल है, लेकिन यह केवल एक मांसपेशी (Muscle) नहीं है, एक भावनात्मक केंद्र भी है। इसलिए 40 के बाद अच्छे स्वास्थ्य का असली राज़ केवल दवाइयाँ या डाइट में नहीं है, जीवनशैली की सादगी और मानसिक संतुलन में छिपा है। अपने परिवार के साथ ज़्यादा समय बिताना, अच्छा संगीत सुनना, बागवानी (गार्डनिंग) करना या किसी सामाजिक काम में हिस्सा लेना — ये सारी चीज़ें हमारे दिल को उतनी ही राहत देती हैं जितनी कोई दवा। 

तनाव, गुस्सा और लगातार की नकारात्मकता हमारे दिल के लिए सबसे बड़ा ज़हर हैं। इसलिए, हर दिन अपने लिए कम से कम 30 मिनट का समय निकालें — बिना मोबाइल, बिना टीवी, और बिना ऑफ़िस की चिंता के। इस दौरान अपने दिल की धड़कन सुनें, अपनी सांसों को महसूस करें। यही वह पल है जहाँ से आपके असली स्वास्थ्य की शुरुआत होती है।

संक्षेप में — 40 की उम्र के बाद जीवन तेज़ नहीं, स्थिर होना चाहिए। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, शराब पर नियंत्रण, संयमित नॉन-वेज, और सकारात्मक सोच — यही पाँच सोने के सूत्र हैं जो हमारे दिल को हमेशा धड़कता हुआ और जीवन को सुंदर बनाए रखते हैं। क्योंकि विकास, धन और सफलता सब कुछ बेकार हैं अगर आपका दिल थक गया हो। दिल को संभालिए, ज़िंदगी अपने आप मुस्कुराने लगेगी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *