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कश्मीर अब पत्थरों का नहीं, प्रगति की परियोजनाओं का प्रतीक बन रहा है: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा

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श्रीनगर, जम्मू कश्मीर 

17 जुलाई 2025

जम्मू-कश्मीर अब एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है — जहां कल तक खामोशी की दीवारों के पीछे आतंक की साजिशें पलती थीं, आज वहीं निर्माण की आहटें गूंज रही हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपने हालिया बयान में स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रदेश शांति और समृद्धि की राह पर “तेजी से” आगे बढ़ रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर अब ‘हिंसा और अविश्वास’ के अंधकार से निकलकर ‘विकास और विश्वास’ की रोशनी की ओर कदम बढ़ा चुका है। यह बदलाव केवल सरकारी आंकड़ों में नहीं, बल्कि आम लोगों की आंखों की चमक, युवाओं की उपलब्धियों और बाजारों की चहल-पहल में साफ देखा जा सकता है।

मनोज सिन्हा ने कहा कि जिस जम्मू-कश्मीर में कभी पत्थरबाजी और बंद की खबरें आम थीं, वहां अब पर्यटन, रोजगार और निवेश की सुर्खियां बन रही हैं। उन्होंने बताया कि साल 2024-25 में अब तक रिकॉर्ड स्तर पर पर्यटकों ने घाटी का रुख किया है, जिससे ना सिर्फ स्थानीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिला है, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार भी प्राप्त हुआ है। श्रीनगर, गुलमर्ग, पहलगाम से लेकर किश्तवाड़ और डोडा तक, कश्मीर अब साहसिक पर्यटन, धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक मेलों के लिए नया केंद्र बनता जा रहा है। सरकार का जोर सिर्फ सड़कों और भवनों के निर्माण पर नहीं, बल्कि इंसानी जीवन को गरिमा और अवसर देने पर है।

सिन्हा ने दो टूक कहा कि अब आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है। उन्होंने दावा किया कि सुरक्षा बलों की सटीक और सख्त कार्रवाई से आतंकियों के नेटवर्क को गंभीर क्षति पहुंची है। जहां एक ओर आतंकवाद पर कड़ा प्रहार हुआ है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने युवाओं के लिए खेल, स्टार्टअप्स, स्किल ट्रेनिंग और स्वरोजगार के अवसरों के नए द्वार खोले हैं। पहले जहां एक युवा खुद को घिरा हुआ महसूस करता था, आज वह स्टेडियम में गेंद दौड़ा रहा है, लैपटॉप पर कोड लिख रहा है, या फिर डिजिटल मार्केटिंग में नई दुनिया खंगाल रहा है। ‘मुख्यधारा में लौटते कश्मीरी युवाओं’ की तस्वीर आज पूरे देश के लिए एक उम्मीद की किरण है।

मनोज सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को जम्मू-कश्मीर की इस सकारात्मक दिशा का मार्गदर्शक बताया। उन्होंने कहा कि मोदी जी के ‘विकास, विश्वास और सुशासन’ के मंत्र ने ही कश्मीर को अलगाव से आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने की जमीन तैयार की है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत श्रीनगर और जम्मू में नए शहरी विकास की लहर दौड़ रही है, जबकि पंचायत स्तर पर पारदर्शिता, ई-गवर्नेंस और डिजिटल सेवाओं ने प्रशासनिक व्यवस्था को लोगों के और करीब ला दिया है।

यह स्पष्ट है कि कश्मीर अब एक नए युग में प्रवेश कर चुका है — जहां राष्ट्रविरोधी ताकतें हाशिये पर हैं और जनता की आकांक्षाएं केंद्र में हैं। आने वाले वर्षों में जम्मू-कश्मीर भारत का एक ‘आकर्षक, आत्मनिर्भर और अभिनव’ राज्य बनेगा, जहां विकास की भाषा हर गली-कूचे में बोली जाएगी और जहां असल मायनों में ‘सबका साथ, सबका विकास’ साकार होगा। उपराज्यपाल सिन्हा की बातों में न केवल प्रशासनिक उपलब्धियों का ब्योरा था, बल्कि भविष्य की एक उजली तस्वीर भी थी – एक ऐसा कश्मीर, जो अब भारत की आत्मा के सबसे सुंदर प्रतिबिंब के रूप में उभर रहा है।

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