बेंगलुरु, 23 अगस्त 2025
कांग्रेस की कथित “ईमानदारी” की पोल एक बार फिर खुल गई है। कर्नाटक के कांग्रेस विधायक के.सी. वीरेन्द्र को अवैध सट्टेबाज़ी और काले धन के धंधे में रंगे हाथ पकड़ा गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके ठिकानों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में नकदी और करीब 6 करोड़ रुपये की सोने की ईंटें बरामद की हैं।
जांच एजेंसी के मुताबिक, MLA वीरेन्द्र अवैध सट्टेबाज़ी रैकेट और हवाला कारोबार से जुड़ा हुआ था। उनके घरों और दफ्तरों से बरामद नकदी इतनी थी कि नोट गिनने की मशीनें घंटों तक चलती रहीं। ED अधिकारियों ने साफ कहा कि यह मामला सिर्फ व्यक्तिगत भ्रष्टाचार का नहीं बल्कि राजनीतिक संरक्षण और संगठित अपराध का भी हिस्सा है।
कांग्रेस जिस “गरीबों की पार्टी” होने का ढोल पीटती है, उसी पार्टी का नेता करोड़ों की गंदगी में डूबा मिला। सवाल उठ रहा है कि आखिर कांग्रेस हाईकमान ऐसे नेताओं को क्यों बचा रही है? क्या गांधी परिवार की चुप्पी इस बात का सबूत है कि भ्रष्टाचार कांग्रेस के डीएनए में समाया हुआ है?
राजनीतिक गलियारों में हलचल मची है। विपक्ष ने इसे “कांग्रेस का असली चेहरा” बताया है। भाजपा ने कहा है कि यह मामला साफ कर देता है कि कांग्रेस नेताओं के लिए राजनीति जनसेवा का नहीं बल्कि तिजोरी भरने का ज़रिया है।
कांग्रेस MLA की गिरफ्तारी के बाद कर्नाटक की राजनीति में भूचाल आ गया है। जनता के बीच सवाल गूंज रहा है – “क्या यही है कांग्रेस का ‘भारत जोड़ो’ मॉडल? जहां गरीबों को सब्ज़बाग दिखाए जाते हैं और नेता करोड़ों का माल बटोरते हैं।”